Meerut Factory Lift Death: मेरठ में खेल सामान फैक्ट्री के कारोबारी हरविंदर सिंह की लिफ्ट में गर्दन फंसने से दर्दनाक मौत हो गई। लिफ्ट मात्र 10 दिन पहले ही लगाई गई थी। हादसे के वक्त वह दूसरी मंजिल पर जा रहे थे। पुलिस जांच में जुटी है।
UP Factory Accident: शनिवार शाम मेरठ की एक फैक्ट्री में हुआ एक दिल दहला देने वाला हादसा अब कई सवालों को जन्म दे रहा है। एक कारोबारी, जो हमेशा की तरह अपने काम में व्यस्त थे, अचानक तकनीकी चूक की भेंट चढ़ गए। फैक्ट्री की लिफ्ट में गर्दन फंसने से उनकी मौके पर ही मौत हो गई।
आखिर कैसे हुआ यह हादसा?
यह मामला मेरठ के सिविल लाइन थाना क्षेत्र स्थित देवी नगर का है। यहां खेल का सामान बनाने वाली फैक्ट्री के मालिक 62 वर्षीय हरविंदर सिंह शनिवार की शाम फैक्ट्री में लगे माल लाने-ले जाने वाली लिफ्ट से ऊपर की मंजिल की ओर जा रहे थे। लेकिन अचानक लिफ्ट बीच रास्ते में रुक गई।
जानकारी के अनुसार, लिफ्ट के रुकने पर हरविंदर सिंह ने नीचे झांकने की कोशिश की, तभी लिफ्ट अचानक चालू हो गई और उनकी गर्दन फंस गई। हादसा इतना गंभीर था कि उन्हें बचने का मौका तक नहीं मिला।
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क्या तकनीकी खामी बनी मौत की वजह?
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जिस लिफ्ट में हादसा हुआ, उसे फैक्ट्री में महज 10 दिन पहले ही लगाया गया था। ऐसे में सवाल उठता है, क्या लिफ्ट में कोई तकनीकी खामी थी? क्या इसकी सुरक्षा जांच सही से की गई थी?
लोगों का कहना है कि लिफ्ट के संचालन में सुरक्षा उपायों की अनदेखी की गई थी। फैक्ट्री में मौजूद मजदूरों ने तुरंत हरविंदर सिंह को बाहर निकाला और अस्पताल पहुंचाया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
परिवार में छाई मातम की लहर
हरविंदर सिंह के छोटे भाई सुखविंदर सिंह, जो खुद एक पूर्व रणजी खिलाड़ी और खेल उद्योग से जुड़े हैं, ने बताया कि हादसे के समय हरविंदर दूसरी मंजिल पर जा रहे थे। वे इस दुर्घटना से स्तब्ध हैं। घर में उस वक्त खुशी का माहौल था, हरविंदर का भांजा हाल ही में सेना में ब्रिगेडियर बना है और उनसे मिलने मेरठ आया हुआ था। लेकिन अचानक हुए इस हादसे ने सारे जश्न को गहरे मातम में बदल दिया।
पुलिस ने शुरू की जांच, पर परिवार ने नहीं दी तहरीर
सिविल लाइन के सीओ अभिषेक तिवारी के अनुसार, घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और जांच शुरू कर दी गई है। हालांकि हरविंदर सिंह के परिजनों ने अब तक किसी भी प्रकार की रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई है। फिर भी, पुलिस अपने स्तर पर लिफ्ट की गुणवत्ता, इंस्टॉलेशन प्रक्रिया और संबंधित ठेकेदार की भूमिका की जांच कर रही है।
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