सार

Premanand Maharaj health deteriorated : वृंदावन में प्रेमानंद महाराज की अचानक तबीयत बिगड़ने से भक्त चिंतित हैं। मंगलवार को दर्शन के लिए आए भक्तों को निराश लौटना पड़ा।

वृंदावन (उत्तर प्रदेश). Premanand Maharaj health deteriorated : भगवान श्रीकृष्ण की नगरी वृंदावन से बड़ी खबर सामने आई है। प्रेमानंद महाराज (Premanand Maharaj) की अचानक तबीयत बिगड़ गई है। बताया जा रहा है कि मंगलवार कई भक्त उनके दर्शन करने के लिए आए थे, लेकिन स्वास्थ्य खराब के चलते प्रेमानंद महाराज ने पदयात्रा नहीं निकाली। जिसके कारण भक्तों को मायूस होकर लौटना पड़ा। हालांकि सभी ने महाराज के जल्द ही ठीक होने की कामना की है।

प्रेमानंद महाराज के शिष्य दी भक्तों को न्यूज

दरअसल, रोज की तरह मंगलवार रात्रि को भारी संख्या में भक्त अपने गुरु प्रेमानंद महाराज के दर्शन करने के लिए उनके आश्रम पहुंचे हुए थे। सभी टकटकी लगाए इंतजार कर रहे थे कि कब बाबा बाहर निकलेंगे और उनको दर्शन देंगे। लेकिन ऐसा नहीं हो सका। एक सेवादार अंदर से आए और सूचना दी कि आज महाराज का स्वास्थ्य ठीक नहीं है, इसलिए वह बाहर नहीं आएंगे। जल्द ही महाराज ठीक होंगे तो रोज की भांति फिर दर्शन देंगे।

भक्तों की उम्मीदें अब बुधवार रात पर टिकी

बता दें कि उत्तर प्रदेश के मथुरा-वृंदावन में संत प्रेमानंद महाराज के दर्शन के लिए भारत ही नहीं विदेश से भक्त दर्शन करने के लिए आते हैं। एक दिन पहले से भक्त वृंदावन में डेरा जमा लेते हैं। हजारों की संख्या में भक्त रोजाना रात को उस रास्ते पर जमा हो जाते हैं, जहां से प्रेमानंद महाराज की पदयात्रा निकलती है। लेकिन पिछले दो दिन सोमवार और मंगलवार रात को महाराज बाहर नहीं निकले। अब महाराज को लेकर भक्तों को चिंता सताने लगी है। भक्तों की उम्मीद है कि बुधवार रात जरूर उनके संत उन्हें दर्शन देंगे। अब सभी की नजरें प्रेमानंद महाराज की स्थिति पर टिकी हैं। वहीं आश्रम की तरफ से फिलहाल बुधवार की पदयात्रा को लेकर कोई आधिकारिक सूचना नहीं दी गई है।

कौन हैं प्रेमानंद महाराज, कैसे बने संत

उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक ब्राह्मण परिवार में जन्में प्रेमानंद जी के बचपन का नाम अनिरुद्ध कुमार पांडे है। इनके पिता का नाम श्री शंभू पांडे और माता का नाम श्रीमती रामा देवी है। प्रेमानंद बचपन से ही श्रीकृष्ण और राधा रानी के भक्त हैं। बताया जाता है कि वह बचपन से ही प्रतिदिन भगवत का पाठ करते हैं। फिर जब वह 13 वर्ष के हुए तो उन्होंने ब्रह्मचारी बनने का फैसला किया और इसके बाद वे घर का त्याग कर संन्यासी बन गए। बता दें कि प्रेमानंद महाराज की कई सालों से दोनों किडनी ने काम करना बंद कर दिया है। इसके अलावा भी वह कई बीमारियों से ग्रसित हैं। लेकिन इसके बाद भी उनके पास ऊर्जा की कोई कमी नहीं है। वह जब बोलते हैं तो उनको करोड़ों लोग सुनते हैं।