Lucknow crematorium accident: लखनऊ के भैसाकुंड श्मशान घाट में अंतिम संस्कार के दौरान 100 साल पुराना पेड़ शव पर गिर गया। इस हादसे में शव पेड़ के नीचे दब गया और उसे निकालने में 5 घंटे लगे।

Bhaisakund crematorium incident: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अंतिम संस्कार के दौरान एक ऐसी घटना घटी जिसने सभी को स्तब्ध कर दिया। भैसाकुंड (बैकुंठ धाम) श्मशान घाट पर जब वन विभाग में कार्यरत नीलू कनौजिया का अंतिम संस्कार किया जा रहा था, तभी वहां खड़ा करीब 100 साल पुराना विशाल पेड़ अचानक भरभराकर उनके शव पर गिर पड़ा। इस अप्रत्याशित हादसे के चलते मौके पर अफरा-तफरी मच गई और श्मशान घाट पर मौजूद लोग दहशत में आ गए।

श्मशान घाट पर अंतिम विदाई में आया पेड़ बाधा बनकर

नीलू कनौजिया वन विभाग में कार्यरत थीं और हाल ही में दो मंजिला इमारत से गिरने के कारण गंभीर रूप से घायल हो गई थीं। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन उपचार के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। पोस्टमार्टम के बाद जब उनका शव श्मशान घाट लाया गया, तो एक और हादसे ने सभी को झकझोर कर रख दिया।

भैसाकुंड श्मशान घाट पर नीलू के पार्थिव शरीर को प्लेटफॉर्म पर अंतिम संस्कार की तैयारी के लिए रखा गया था। इसी दौरान पास में खड़ा पुराना विशाल पेड़ अचानक तेज आवाज के साथ गिर पड़ा और सीधा महिला के शव पर जा गिरा। जैसे ही यह दृश्य सबके सामने आया, लोग तुरंत इधर-उधर भागने लगे और घाट पर कोहराम मच गया।

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शव को निकालने में लगे पूरे 5 घंटे

हादसे के बाद शव पेड़ के नीचे दब गया। पेड़ इतना बड़ा था कि उसे हटाने के लिए नगर निगम की टीम को करीब पांच घंटे तक लगातार मशक्कत करनी पड़ी। आखिरकार पेड़ को काटकर शव को बाहर निकाला गया। गनीमत रही कि इस घटना में किसी और को चोट नहीं पहुंची।

नगर निगम कर्मचारी जावेद के अनुसार, “पेड़ गिरने से श्मशान घाट की बाउंड्री वॉल भी क्षतिग्रस्त हो गई है। पूरी स्थिति की जानकारी उच्च अधिकारियों को दे दी गई है।” फिलहाल घाट की सुरक्षा और रखरखाव पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।

पुराने पेड़ों की स्थिति पर उठे सवाल

यह हादसा न केवल एक संवेदनशील क्षण को और अधिक पीड़ादायक बना गया, बल्कि शहर में खड़े पुराने पेड़ों की स्थिति और उनकी नियमित जांच को लेकर सवाल भी खड़े कर दिए हैं। क्या नगर निगम ऐसे खतरनाक पेड़ों की समय-समय पर जांच करता है? क्या सार्वजनिक स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा रही है? ये प्रश्न अब ज़ोर पकड़ते दिख रहे हैं।

ऐसी घटनाएं प्रशासन की सतर्कता और जिम्मेदारी पर सवाल खड़े करती हैं। जहां श्मशान घाट जैसी संवेदनशील जगह पर इस तरह की घटना घटी हो, वहां लोगों का गुस्सा और चिंता दोनों स्वाभाविक हैं।

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