Lucknow overbridge construction dispute: लखनऊ में एक रेलवे ओवरब्रिज का निर्माण मुआवज़े के विवाद के कारण रुका हुआ है, जिससे स्थानीय लोगों को ट्रैफिक जाम जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

Lucknow News: राजधानी लखनऊ में ट्रैफिक को सुगम बनाने के लिए बन रहा एक रेलवे ओवरब्रिज अब आम जनता के लिए सिरदर्द बनता जा रहा है। निर्माण कार्य बीच में अटक चुका है और कारण है, एक कॉम्प्लेक्स जिसके मालिक प्रशासन से मुआवजे को लेकर विवाद में उलझे हैं।

अधूरी योजना बना रही है जनजीवन अस्त-व्यस्त

महाराजापुरम, गंगाखेड़ा और पंडितखेड़ा जैसे इलाकों के लोगों को रोज़ाना अधूरे ओवरब्रिज के नीचे से होकर गुजरना पड़ता है। ट्रेन के गुजरते ही रेलवे क्रॉसिंग पर ट्रैफिक जाम आम बात बन चुका है। जब एक साथ दो-तीन ट्रेनें आ जाती हैं, तो हालात और भी बिगड़ जाते हैं।

क्यों रुका है निर्माण कार्य?

लखनऊ-कानपुर रेल सेक्शन पर क्रॉसिंग संख्या 4 पर कृष्णानगर को केसरीखेड़ा से जोड़ने वाला यह ओवरब्रिज दो लेनों का है। इसका निर्माण 1 फरवरी 2024 से शुरू हुआ था, जिसकी शुरुआती लागत 74.48 करोड़ रुपये थी। अब ये लागत बढ़कर 84 करोड़ रुपये तक पहुंच चुकी है।

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लेकिन ओवरब्रिज के रास्ते में आने वाले एक निजी कॉम्प्लेक्स को हटाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम के अनुसार, यह कॉम्प्लेक्स ग्रीन बेल्ट में आता है और इसे हटाना ज़रूरी है। लेकिन भूमि मालिकों की सहमति नहीं मिलने से मामला अधर में लटक गया है।

मुआवजे की जंग बनी देरी की वजह

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह मामला अब भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और मुआवजा कानून के तहत उलझ गया है। यह प्रक्रिया कानूनी तौर पर पारदर्शिता तो लाती है, लेकिन इसके चलते काम की गति काफी धीमी हो जाती है।

स्थानीय निवासियों और जानकारों का कहना है कि यह मामला केवल तकनीकी या पैसों से जुड़ा नहीं है, बल्कि इसमें प्रशासनिक इच्छाशक्ति की कमी और सिस्टम की सुस्ती भी बराबर जिम्मेदार है। स्थानीय लोगों की उम्मीद अब शासन और प्रशासन के निर्णय पर टिकी है। यदि जल्द ही मुआवजे को लेकर कोई समाधान नहीं निकला, तो यह अधूरा ओवरब्रिज और बड़ी समस्या का कारण बन सकता है।

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