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कानपुर अग्निकांड: मां-बेटी के अंतिम संस्कार के बाद भी अनसुलझी पहेली बने हैं ये 5 सवाल

कानपुर अग्निकांड के बाद कई सवाल अभी भी ऐसे हैं जिनका जवाब किसी के पास नहीं है। झोपड़ी में जलकर मां-बेटी की मौत के बाद शासन प्रशासन के द्वारा सिर्फ जांच कमेटी और रिपोर्ट की बात की जा रही है।

Gaurav Shukla | Published : Feb 16 2023, 11:24 AM
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कई सवालों के घेरे में झोपड़ी का गिराना
Image Credit : Asianet News

कई सवालों के घेरे में झोपड़ी का गिराना

कानपुर: मड़ौली गांव में सरकारी जमीन पर बनी झोपड़ी को हटाने के दौरान मां-बेटी की जलकर हुई मौत के बाद उनका अंतिम संस्कार भी बुधवार को कर दिया गया। हालांकि इस घटना में कई सवाल ऐसे हैं जिनका जवाब अभी तक किसी के पास नहीं है। जब भी इन सवालों को शासन प्रशासन से किया जाता है तो सिर्फ जांच कमेटी और रिपोर्ट की बात कहकर जिम्मेदार अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। यहां सोमवार को निलंबित एसडीएम ज्ञानेश्वर प्रसाद के नेतृत्व में राजस्व और पुलिस की टीम पहुंची थी। बुलडोजर का झोपड़ी तक पहुंचना मुश्किल था लिहाजा बीच में पड़ने वाले हैंडपंप और धार्मिक चबूतरे को भी तोड़ दिया गया। 

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मौके पर डीएम का न पहुंचना भी बड़ा सवाल
Image Credit : Asianet News

मौके पर डीएम का न पहुंचना भी बड़ा सवाल

जनपद में किसी भी बड़ी दुर्घटना या हादसे पर डीएम तत्काल मौके पर पहुंचते हैं। हालांकि कानपुर देहात की घटना में डीएम नेहा जैन दो लोगों की जलकर मौत और इतने हंगामे के बाद भी मौके पर नहीं पहुंची। यहां तक डीएम का महोत्सव का डांस वीडियो वायरल होने और लगातार सवाल खड़े होने के बाद भी उनका घटनास्थल पर न जाना सवाल खड़ा करता है। 

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झोपड़ी में मां-बेटी के होने के बावजूद दिया गया गिराने का आदेश
Image Credit : Asianet News

झोपड़ी में मां-बेटी के होने के बावजूद दिया गया गिराने का आदेश

परिवार के लोग जब झोपड़ी से सामान बाहर निकाल रहे थे और आशियाना उजड़ता देख प्रमिला और उनकी बेटी नेहा अंदर गई और दरवाजा बंद कर लिया उसके बाद बुलडोजर चालक को झोपड़ी गिराने का आदेश क्यों दिया गया?  लोगों के अंदर होने पर भी बुलडोजर चालक दीपक को झोपड़ी गिराने के लिए कई लोगों ने चिल्लाकर बोला। इसके बाद ही आग की लपटे तेज हुईं। 

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आखिर क्यों डीएम और एसपी ने नहीं सुनी पीड़ित की फरियाद
Image Credit : Asianet News

आखिर क्यों डीएम और एसपी ने नहीं सुनी पीड़ित की फरियाद

झोपड़ी गिरने से पहले ही पीड़ित अपनी फरियाद लेकर डीएम और एसपी के पास पहुंचे थे। लेकिन किसी ने उनकी नहीं सुनी। एसपी ने उन्हें डांट के भगा दिया। राज्यमंत्री प्रतिभा शुक्ला ने डीएम से बात भी की लेकिन उसके बावजूद पीड़ितों की कोई सुनवाई नहीं हुई। बिना किसी नोटिस के कब्जा गिराने का काम किया गया। 

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आखिर किसके आदेश पर दिया गया झोपड़ी को गिराने का फरमान
Image Credit : Asianet News

आखिर किसके आदेश पर दिया गया झोपड़ी को गिराने का फरमान

इस घटना में सबसे बड़ा सवाल है कि कृष्ण गोपाल की झोपड़ी को गिराने का आदेश देने वाला कौन था। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच यह सवाल पहेली बनकर खड़ा है। लेकिन ग्रामीण दबी जुबान ही सही कहते हुए सुनाई देते हैं कि वह किसी प्रशासनिक अफसर का खास सरकारी कर्मचारी है। ग्रामीणों का कहना है कि मामले में जांच के बाद सच सामने आएगा।

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एसडीएम की दिलचस्पी और जल्दबाजी भी बड़ा सवाल
Image Credit : PTI

एसडीएम की दिलचस्पी और जल्दबाजी भी बड़ा सवाल

सवाल यह भी खड़ा होता है कि कृष्ण गोपाल दीक्षित का कब्जा हटाने के लिए एसडीएम ज्ञानेश्वर प्रसाद को इतनी जल्दी और दिलचस्पी क्यों थी? 13 फरवरी को ही डीएम के पास गांव के लोग कृष्ण गोपाल के सरकारी जमीन पर कब्जे की शिकायत लेकर गए थे। इसके फौरन बाद डीएम एसडीएम मैथा को पत्र भेजती हैं और एसडीएम फोर्स की मांग कर कब्जा हटाने के लिए पहुंच जाते हैं। इन सब चीजों में सामान्य प्रकरणों से ज्यादा जल्दबाजी दिखती है। 

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Gaurav Shukla
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