Gonda police help marriage: गोंडा में हत्या के बाद टूटी शादी को पुलिस ने फिर से जोड़ा। एसपी ने न सिर्फ अपराधियों को पकड़ा बल्कि परिवार को आर्थिक मदद और सुरक्षा देकर बेटी की शादी करवाई।
Uttar Pradesh police humanity: गोंडा जिले के उमरीबेगमगंज थाना क्षेत्र के धन्नीपुरवा गांव की एक बेटी की शादी उस वक्त अधूरी रह गई थी, जब 24 अप्रैल 2025 की रात शादी की तैयारियों के बीच बदमाशों ने उसके भाई शिवदीन की गोली मारकर हत्या कर दी थी। परिवार पहले ही आर्थिक तंगी से जूझ रहा था, ऐसे में यह हादसा उनके लिए सबकुछ तोड़ने जैसा था। लेकिन इस दुख की घड़ी में गोण्डा पुलिस और यूपी एसटीएफ ने वह कर दिखाया, जो आज समाज के लिए एक मिसाल बन गया है।
गैंग ने की थी हत्या, पुलिस ने चलाया ऑपरेशन, दो इनामी ढेर
शादी के लिए घर में रखा सामान चुराने घुसे बदमाशों ने विरोध करने पर भाई को मौत के घाट उतार दिया। मामले की गंभीरता को देखते हुए एसपी गोण्डा विनीत जायसवाल ने तत्काल कई पुलिस टीमें गठित कीं। छह में से चार आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया, जबकि एक लाख के इनामी बदमाश सोनू पासी और ज्ञानचंद्र पासी को एसटीएफ और पुलिस की संयुक्त मुठभेड़ में ढेर कर दिया गया।
भरोसे से शुरू हुआ फिर से सपना, पुलिस बनी परिवार का सहारा
हत्या की वारदात के बाद उत्पन्न डर और आर्थिक असमर्थता के चलते बेटी की शादी टल गई थी। जब यह बात पुलिस अधीक्षक को पता चली तो उन्होंने न सिर्फ सुरक्षा का भरोसा दिया, बल्कि खुद आगे बढ़कर शादी की तैयारियों का बीड़ा उठाया। एसपी विनीत जायसवाल और उनकी धर्मपत्नी डॉ. तन्वी जायसवाल ने बेटी को ₹1.51 लाख की नकद राशि, जेवर और गृहस्थी का पूरा सामान भेंट कर आशीर्वाद दिया।
घराती बनी पुलिस, स्वागत में कोई कसर नहीं छोड़ी
शादी के आयोजन में गोंडा पुलिस और एसटीएफ ने घरातियों की भूमिका निभाई। पंडाल सजवाया गया, बारातियों के लिए भोज की व्यवस्था की गई और स्वागत में कोई कमी नहीं छोड़ी गई। ब्लॉक प्रमुख, ग्राम प्रधान सहित कई स्थानीय लोग भी इस आयोजन का हिस्सा बने। सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद रखी गई, जिससे कोई असुविधा न हो।
संवेदनशीलता और सेवा का अनूठा उदाहरण बनी गोंडा पुलिस
इस पूरे घटनाक्रम ने साफ कर दिया कि पुलिस केवल अपराधियों के विरुद्ध कार्रवाई करने वाली संस्था नहीं, बल्कि ज़रूरतमंदों और पीड़ितों के लिए एक मजबूत कंधा भी है। पुलिस अधीक्षक ने साफ कहा, “हमारा उद्देश्य सिर्फ अपराध नियंत्रण नहीं, बल्कि पीड़ितों को संबल देना भी है।” यह विवाह केवल एक सामाजिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि संवेदनशीलता और जिम्मेदारी का प्रतीक बन गया है।\
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