सार
महाकुंभ नगर। महाकुम्भ 2025 में सनातन धर्म की रक्षा और स्वतंत्रता के लिए सनातन बोर्ड गठन की मांग ने जोर पकड़ लिया है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद और मां मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी महाराज ने इस मांग को धर्म संसद का प्रमुख मुद्दा बताया है। उनका कहना है कि सनातन धर्म की आस्था को संरक्षित करने और मंदिर-मठों को उनके पुराने गौरव पर लाने के लिए सनातन बोर्ड का गठन अनिवार्य है।
सनातन धर्म की रक्षा के लिए गठित होगा सनातन बोर्ड
धर्म संसद में संतों का हुंकार निरंजनी अखाड़े की छावनी में आयोजित प्रेस वार्ता में धर्म संसद की रूपरेखा और उद्देश्यों पर चर्चा की गई। आनंद पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालका नंद गिरि ने कहा कि सनातन धर्म का अस्तित्व सृष्टि की शुरुआत से है। उन्होंने जोर देकर कहा कि मंदिरों और मठों पर हुए कब्जों को मुक्त कराने और सनातन धर्म के हित में हर जरूरी कदम उठाने के लिए सनातन बोर्ड जरूरी है।
संतो ने पीएम मोदी और सीएम योगी से की यह मांग
देवकीनंदन ठाकुर ने की प्रबल अपील अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक स्वामी देवकीनंदन ठाकुर ने धर्म संसद में कहा कि सनातन धर्म की संस्कृति अभी भी पूर्ण रूप से स्वतंत्र नहीं है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सनातन बोर्ड के गठन की मांग की। ठाकुर ने संतों और सनातन धर्मावलंबियों से आह्वान किया कि वे धर्म संसद में अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर इस मांग को मजबूत करें।
वक्फ बोर्ड हो सकता है, तो सनातन बोर्ड क्यों नहीं?”
'बिना सनातन बोर्ड वापस नहीं जाएंगे' स्वामी देवकीनंदन ठाकुर ने कहा, “हमारा संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक सनातन बोर्ड का गठन नहीं हो जाता। अगर वक्फ बोर्ड हो सकता है, तो सनातन बोर्ड क्यों नहीं?” उन्होंने स्पष्ट किया कि 27 जनवरी को धर्म संसद में लाखों सनातनी अपनी उपस्थिति से इस मांग को और अधिक मजबूती देंगे।
जानिए सनातन बोर्ड बनने से क्या होगा
सनातन बोर्ड से होगी धर्म की स्वतंत्रता महामंडलेश्वर स्वामी प्रेमानंद पुरी महाराज और अन्य संतों ने भी सनातन बोर्ड के गठन की मांग को सही ठहराया। उनका कहना है कि यह बोर्ड सनातन धर्म के लिए एक संवैधानिक ढांचा तैयार करेगा, जिससे धार्मिक स्थलों को संरक्षित करने में मदद मिलेगी। धर्म संसद के इस ऐतिहासिक आयोजन में स्वामी हरिओम गिरी, महंत शंकरा नन्द सरस्वती, स्वामी आत्मा नन्द समेत अनेक संत और महापुरुष उपस्थित रहे। यह आयोजन सनातन धर्म के इतिहास में मील का पत्थर साबित होगा।
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