सार
चंद्रशेखर आजाद के कुंभ पर दिए बयान पर विवाद बढ़ता जा रहा है। उन्होंने कुंभ पर सवाल उठाते हुए कहा था कि सरकार रोजगार जैसे मुद्दों पर ध्यान नहीं देती, लेकिन कुंभ के लिए भारी खर्च करती है।
आजाद समाज पार्टी के सांसद चंद्रशेखर आजाद के कुंभ पर दिए बयान पर शुरू हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है।अब अयोध्या में हिंदू धाम के पीठाधीश्वर राम विलास वेदांती ने चंद्रशेखर आजाद पर निशाना साधा है।पत्रकारों ने जब चंद्रशेखर आजाद के बयान पर राम विलास वेदांती से सवाल किया तो उन्होंने कहा कि कुंभ पापी लोगों के लिए नहीं हैं।
राम विलास वेदांती ने कही ये बात
वेदांती ने कहा, “जो पापी होंगे कुंभ में कैसे आएंगे, पापी कुंभ में नहीं आएंगे, पापी और महापापी लोगों को कुंभ में आने की जरूरत नहीं है। पापी लोगों को कुंभ में आने से मना किया गया है। पुण्यात्मा लोग ही कुंभ में आते हैं।” उत्तर प्रदेश के नगीना से सांसद चंद्रशेखर आज़ाद ने शुक्रवार को कुंभ मेले पर सवाल उठाते हुए कहा, "सरकार से जब रोज़गार, बुनियादी सुविधाओं, मकान, रोटी और कपड़े को लेकर सवाल पूछते हैं, तो सरकार के पास कोई जवाब नहीं होता। लेकिन जब कुंभ की बात आती है, तो छह महीने में रेत पर एक बड़ा शहर खड़ा कर दिया जाता है।"
आज़ाद ने यह भी कहा, “अगर किसी ने पाप किए हों, तो वो कुंभ में जाकर उन्हें धो ले। लेकिन कोई यह बताता है कि उसने पाप किए हैं? हमारा मकसद इस देश में उन लोगों के लिए रोटी, कपड़ा और बुनियादी सुविधाओं की लड़ाई लड़ना है, जिन्हें सदियों तक जाति, धर्म और संप्रदाय के नाम पर अपमानित किया गया है।” राम विलास वेदांती चंद्रशेखर के इसी बयान पर प्रतिक्रिया दे रहे थे। ये मान्यता है कि कुंभ में स्नान करने से पाप धुल जाते हैं।
राज्य मंत्री असीम अरुण ने दी थी प्रतिक्रिया
चंद्रशेखर ने इसी मान्यता पर हमला करते हुए टिप्पणी की थी। उन्होंने ये सवाल भी उठाया था कि सरकार उनके इस बयान ने धार्मिक आस्थाओं और कुंभ मेले की परंपराओं पर सवाल खड़े कर दिए, जिससे विवाद गहराता जा रहा है। राम विलास वेदांती से पहले बीजेपी के राज्य मंत्री असीम अरुण ने भी प्रतिक्रिया दी थी।असीम अरुण ने चंद्रशेखर आज़ाद के बयान को आस्था का अपमान करार दिया। उन्होंने कहा, "चंद्रशेखर जी ने जो बात कही है, वो हमें स्वीकार नहीं है। मेरी उनसे अपील है कि आस्था के साथ खिलवाड़ न करें। कुंभ मेले का महत्व केवल पंथ और परंपराओं का संगम नहीं है, बल्कि यहां पवित्र नदियों का संगम भी होता है। ये हमारी सांस्कृतिक धरोहर है, और इसका मजाक उड़ाना हमें कतई मंजूर नहीं।"
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