सार
भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने कुंभ मेले पर सवाल उठाए हैं, जिसे लेकर अब विवाद खड़ा हो गया है।
कुंभ मेले को लेकर भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद के हालिया बयान ने राजनीतिक और धार्मिक हलकों में बहस छेड़ दी है। उनके इस बयान को आस्था पर चोट के रूप में देखा जा रहा है, जिसके चलते उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री असीम अरुण और कई संतों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।
क्या कहा चंद्रशेखर आजाद ने?
उत्तर प्रदेश के नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद ने शुक्रवार को कुंभ मेले पर सवाल उठाते हुए कहा, "सरकार से जब रोज़गार, बुनियादी सुविधाओं, मकान, रोटी और कपड़े को लेकर सवाल पूछते हैं, तो सरकार के पास कोई जवाब नहीं होता। लेकिन जब कुंभ की बात आती है, तो छह महीने में रेत पर एक बड़ा शहर खड़ा कर दिया जाता है।"
आज़ाद ने यह भी कहा, “अगर किसी ने पाप किए हों, तो वो कुंभ में जाकर उन्हें धो ले। लेकिन कोई यह बताता है कि उसने पाप किए हैं? हमारा मकसद इस देश में उन लोगों के लिए रोटी, कपड़ा और बुनियादी सुविधाओं की लड़ाई लड़ना है, जिन्हें सदियों तक जाति, धर्म और संप्रदाय के नाम पर अपमानित किया गया है।” उनके इस बयान ने धार्मिक आस्थाओं और कुंभ मेले की परंपराओं पर सवाल खड़े कर दिए, जिससे विवाद गहराता जा रहा है।
बीजेपी मंत्री असीम अरुण की प्रतिक्रिया
उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री असीम अरुण ने चंद्रशेखर आज़ाद के बयान को आस्था का अपमान करार दिया। उन्होंने कहा, "चंद्रशेखर जी ने जो बात कही है, वो हमें स्वीकार नहीं है। मेरी उनसे अपील है कि आस्था के साथ खिलवाड़ न करें। कुंभ मेले का महत्व केवल पंथ और परंपराओं का संगम नहीं है, बल्कि यहां पवित्र नदियों का संगम भी होता है। ये हमारी सांस्कृतिक धरोहर है, और इसका मजाक उड़ाना हमें कतई मंजूर नहीं।"
जगदगुरु शंकराचार्य की टिप्पणी
इस विवाद में जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने चंद्रशेखर आजाद के बयान को आस्था का विषय बताया और व्यंग्यात्मक लहजे में कहा, "अगर वो (चंद्रशेखर आजाद) निष्पाप व्यक्ति हैं, तो ये बहुत अच्छी बात है। ऐसे निष्पाप लोगों का दर्शन करना तो हमें भी चाहिए। कुंभ मेला उन लोगों के लिए है जो अनजाने में या जाने-अनजाने में पाप कर बैठे हैं। यहां आकर वे प्रायश्चित करते हैं। यह हमारी श्रद्धा और परंपरा का हिस्सा है।"
आस्था का प्रतीक है कुंभ मेला
कुंभ मेला भारतीय संस्कृति और आस्था का ऐसा पर्व है, जिसमें करोड़ों श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं। यह न केवल धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह प्रशासनिक दक्षता और क्षमता का भी प्रदर्शन करता है। छह महीने में रेत पर एक अस्थायी शहर खड़ा करना, जिसमें लाखों लोगों के लिए पानी, बिजली, सुरक्षा और सफाई जैसी सुविधाएं जुटाई जाती हैं, एक बड़ी उपलब्धि मानी जाती है।इस बार उत्तर प्रदेश सरकार ने कुंभ में पहुंचने वाले करोड़ों लोगों के लिए बड़े पैमाने पर सुविधाएं विकसित की हैं और उच्च स्तरीय इंतजाम किए हैं।
चंद्रशेखर का बयान राजनीतिक?
सांसद चंद्रशेखर आजाद का बयान इस बात पर भी ध्यान दिलाता है कि सरकारें अपने प्राथमिकताओं को कैसे तय करती हैं। उनका मानना है कि जिन समुदायों को सदियों तक जातीय और धार्मिक आधार पर अपमानित किया गया, उनकी समस्याओं पर ध्यान देना सरकार का प्राथमिक कर्तव्य होना चाहिए। हालांकि उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार है और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हिंदुत्व के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार कुंभ के आयोजन को अपनी बड़ी उपलब्धि के रूप में देख रही है। चंद्रशेखर आजाद ने यूपी सरकार की इसी उपलब्धि पर सवाल उठा दिए हैं, जिसके बाद से इस बयान पर राजनीति हो रही है।
क्या ये विवाद कुंभ तक सीमित?
आजाद समाज पार्टी के संस्थापक और सांसद चंद्रशेखर आजाद की टिप्पणी से उठा यह विवाद कुंभ तक ही सीमित नहीं है। बल्कि उनका यह बयान आस्था, प्रशासनिक प्राथमिकता और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों को एक साथ खड़ा करता है। चंद्रशेखर आजाद के बयान ने जहां सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े किए हैं, वहीं बीजेपी और संत समाज इसे धार्मिक भावनाओं का अपमान मान रहे हैं।
कुंभ मेला भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन इस पर सवाल उठाकर चंद्रशेखर आजाद ने विकास और आस्था के बीच संतुलन की बहस को नया आयाम दिया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में यह विवाद किस दिशा में बढ़ता है और सरकार इस पर क्या कदम उठाती है।
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