सार
चाइनीज मांझे के कारण होने वाले जानलेवा हादसे उत्तर प्रदेश में लगातार चिंता का विषय बने हुए हैं। यह घातक मांझा, जिसे पतंगबाजी के लिए इस्तेमाल किया जाता है, न केवल पर्यावरण के लिए खतरनाक है बल्कि अब इंसानी जानें भी निगल रहा है।
उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर और मेरठ में दो दर्दनाक घटनाओं ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया है। शाहजहांपुर में यूपी पुलिस के कांस्टेबल शाहरुख हसन (32) की मौत ने सभी को हिला कर रख दिया है। अमरोहा निवासी शाहरुख ड्यूटी पर बाइक से जा रहे थे, तभी अचानक चाइनीज मांझा उनकी गर्दन में फंस गया। मांझे की तेज धार ने उनकी गर्दन को इतनी गहराई से काटा कि खून अधिक बहने के कारण उनकी मौके पर ही मृत्यु हो गई।
यह घटना पुलिस और प्रशासन के लिए भी एक चेतावनी है, जो इस घातक मांझे की बिक्री रोकने में अब तक असफल रहे हैं।
एक और युवक की जान गई, दोस्त घायल
वहीं, 6 जनवरी को मेरठ के तेजगढ़ी चौराहे पर साहिल नामक युवक की चाइनीज मांझे की चपेट में आने से मौत हो गई थी। साहिल अपने दोस्त के साथ बाइक पर जा रहा था। अचानक, पतंग के साथ लटक रहा चाइनीज मांझा उसकी गर्दन में उलझ गया। साहिल की भी गर्दन मांझे से कट गई थी और मौके पर ही उसकी मौत हो गई थी। इस हादसे में साहिल का दोस्त भी गंभीर रूप से घायल हुआ।
पहले भी जा चुकी है लोगों की जान
चाइनीज मांझे से मौत के ये पहले मामले नहीं हैं। इससे पहले भी देश के कई हिस्सों में इस मांझे की चपेट में आने से लोगों की जान जा चुकी है। चाइनीज मांझा पतंगबाजी के लिए तो इस्तेमाल होता है, लेकिन इसकी धातुयुक्त और कांच लगी कोटिंग इसे बेहद खतरनाक बना देती है। यह मांझा न केवल लोगों की जान ले रहा है बल्कि बिजली के तारों को नुकसान पहुंचाने और पक्षियों की मौत का भी प्रमुख कारण बन रहा है। यूं तो इस मांझे की बिक्री पर प्रशासनिक रोक है, बावजूद इसके ये धड़ल्ले से बिक रहा है।
प्रशासन की विफलता और बढ़ती मौतें
पुलिस और प्रशासन चाइनीज मांझे की बिक्री रोकने के लिए कड़े निर्देश जारी कर चुका है, लेकिन यह निर्देश जमीनी स्तर पर प्रभावी नहीं हो पा रहे हैं। शाहजहांपुर और मेरठ जैसे हादसे यह साबित करते हैं कि इस मुद्दे पर कार्रवाई केवल कागजों तक सीमित है। मेरठ जोन के एडीजी ने पहले भी सख्त दिशा-निर्देश जारी किए थे, लेकिन वेस्ट यूपी में चाइनीज मांझे की बिक्री और इसके कारण होने वाली मौतों पर लगाम नहीं लग सकी।
जनता और प्रशासन के लिए सबक
चाइनीज मांझे से होने वाली इन दर्दनाक मौतों ने एक बार फिर यह दिखा दिया है कि आम जनता और प्रशासन दोनों को सतर्क होने की जरूरत है। जहां प्रशासन को इसकी बिक्री पर प्रभावी तरीके से रोक लगानी होगी, वहीं नागरिकों को भी इस घातक मांझे के उपयोग से बचने और इसे बेचने वालों के खिलाफ शिकायत करने की जिम्मेदारी उठानी चाहिए।
अब मकर संक्रांति का पर्व आ रहा है जिस पर पारंपरिक रूप से पतंग उड़ाने का रिवाज है। अब ये देखना होगा कि प्रशासन इस उत्सव से पहले इस मांझे पर रोक लगा पाता है या नहीं।
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