10 साल से संतान सुख से वंचित महिला को परिवारवालों ने डॉक्टर की बजाय तांत्रिक के पास ले गए, जहाँ इलाज के नाम पर उसे टॉयलेट का पानी पिलाया गया जिससे उसकी मौत हो गई।
Azamgarh Latest News: शादी के 10 साल बाद भी उस महिला को बच्चे नहीं हुए थे। इसलिए परिवारवाले उसे डॉक्टर के पास ले जाने के बजाय, एक ढोंगी तांत्रिक के पास ले गए और उससे बांझपन का इलाज करने को कहा। लेकिन उस नीच तांत्रिक की हरकत से बच्चे की चाह में इलाज कराने आई 35 साल की महिला की जान ही चली गई। ये खौफनाक वाकया उत्तर प्रदेश का है।
आज़मगढ़ की रहने वाली अनुराधा की शादी 10 साल पहले हुई थी। लेकिन उसे बच्चे नहीं हो रहे थे। उसकी सास और मां मिलकर उसे चंदू नाम के एक तांत्रिक के पास ले गईं। उसने अनुराधा के परिवार को उसके बांझपन का इलाज करने का भरोसा दिलाया। इसके लिए उसने 1 लाख रुपये मांगे और 22 हज़ार रुपये एडवांस में ले लिए। बाकी पैसे इलाज के बाद देने को कहा।
इसके बाद, तांत्रिक इलाज के नाम पर, तांत्रिक चंदू, उसकी पत्नी शबनम और दो साथियों ने मिलकर अनुराधा को पकड़ लिया। उन्होंने उसके बाल पकड़कर खींचा, उसकी गर्दन दबाकर ज़बरदस्ती टॉयलेट का पानी पिलाने की कोशिश की। जब उसने विरोध किया, तो तांत्रिक चंदू ने कहा कि उसके शरीर में बहुत ताकतवर आत्मा है, जो आसानी से नहीं जाएगी।
टॉयलेट का पानी पीने के बाद अनुराधा की हालत बिगड़ गई। तांत्रिक चंदू उसे फौरन पास के अस्पताल ले गया, जहां उसकी मौत हो गई। मौत की पुष्टि होते ही चंदू वहां से भाग गया। अनुराधा के पिता बलिराम यादव की शिकायत पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर चंदू को गिरफ्तार कर लिया। उसकी पत्नी और साथियों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है।
ये घटना उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ जिले के कंधारपुर थाना क्षेत्र के पहलवान पुर गांव में हुई। बेटी/बहू की मौत के बाद अब परिवार वाले होश में आए हैं और उस धोखेबाज़ तांत्रिक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। अगर वे उसे तांत्रिक के पास ले जाने के बजाय अस्पताल ले जाते, तो शायद उसकी जान बच जाती। लेकिन अंधविश्वास के चलते परिवार को अपनी बेटी की जान गंवानी पड़ी।
मृतक अनुराधा तीन बहनों में सबसे बड़ी थीं, और अब परिवार के अंधविश्वास का शिकार हो गईं। स्थानीय लोगों के अनुसार, तांत्रिक चंदू ने अपने घर में नकली आध्यात्मिक माहौल बना रखा था। अपने अनुयायियों को आकर्षित करने के लिए उसने वहाँ एक छोटा सा मंदिर बनाया था, जहां घंटियां और मूर्तियां थीं। आस-पास के इलाकों के लोग अक्सर मदद के लिए उसके पास आते थे। कुछ ग्रामीणों ने बताया कि पहले भी इस तरह की घटनाएं हो चुकी हैं।