Lieutenant Shashank Tiwari martyrdom: अयोध्या की पावन भूमि ने शनिवार को अपने वीर सपूत को अंतिम विदाई दी। सिक्किम की दुर्गम घाटियों में देश सेवा करते हुए शहीद हुए लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी का पार्थिव शरीर जैसे ही उनके गद्दोपुर मझवा स्थित घर पहुंचा, पूरे क्षेत्र में शोक और गर्व का माहौल बन गया। हजारों लोगों की आंखें नम थीं, लेकिन दिलों में था फक्र कि यह लाल भारत मां की सेवा में बलिदान हुआ।
सरयू किनारे हुआ अंतिम संस्कार, पिता ने दी मुखाग्नि
शनिवार दोपहर सरयू नदी के जमथरा घाट पर शहीद का अंतिम संस्कार किया गया। उनके पिता जंग बहादुर तिवारी ने बेटे को मुखाग्नि दी। इस दौरान घाट पर मौजूद सेना के अधिकारियों ने राजकीय सम्मान के साथ उन्हें अंतिम सलामी दी। ‘भारत माता की जय’ और ‘शहीद शशांक अमर रहें’ के नारों से घाट गूंज उठा।
सुबह से ही शहीद के घर के बाहर श्रद्धांजलि देने वालों की भीड़ उमड़ने लगी थी। जैसे ही सेना के जवान पार्थिव शरीर लेकर निकले, पूरा क्षेत्र 'शहीद शशांक अमर रहें' के नारों से गूंज उठा। सैकड़ों गाड़ियों और पैदल चल रहे लोगों की यह यात्रा उस साहस और बलिदान की गवाही दे रही थी, जिसे शशांक ने देश के लिए दिया।
जमथरा घाट पर सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके परिवार को ढांढस बंधाया। सेना की ओर से पूरे सम्मान के साथ अंतिम क्रियाकर्म किया गया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि देश अपने वीर सपूतों को कभी नहीं भूलता।
शहर के नेता और अधिकारी भी हुए शामिल, की विनम्र श्रद्धांजलि
अंतिम संस्कार में जिले के प्रभारी मंत्री सूर्य प्रताप शाही, जिलाधिकारी निखिल टीकाराम फुंडे, एसएसपी गौरव ग्रोवर, डोगरा रेजीमेंट सेंटर के अधिकारी और कई जनप्रतिनिधि मौजूद रहे। सभी ने शहीद के चरणों में पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।
गांव में छाया मातम, लेकिन परिवार को है बेटे के बलिदान पर गर्व
गांव के लोग भले ही ग़मगीन हैं, लेकिन शशांक के माता-पिता और परिजनों की आंखों में गर्व भी झलकता है। उनके पिता ने कहा, “मेरा बेटा देश के लिए मरा है, इससे बड़ा सम्मान कोई नहीं।” लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी का बलिदान भारत के युवाओं के लिए प्रेरणा है। उनके साहस, कर्तव्यनिष्ठा और देशभक्ति को हमेशा याद रखा जाएगा। शहीद शशांक ने सेना में शामिल होकर देश सेवा का सपना देखा था। आज उनका सपना तो अधूरा रह गया, लेकिन उनका जज्बा हर युवा को प्रेरित करता रहेगा।
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