अयोध्या राम मंदिर में शुरू हुआ 1975 मंत्रों का अनुष्ठान! 101 वैदिक पुजारियों की अगुवाई में 14 देवालयों की प्राण प्रतिष्ठा जारी है। क्या 5 जून को राम दरबार की प्रतिष्ठा के साथ खुलेंगे आध्यात्मिक ऊर्जा के अनदेखे द्वार? जानिए क्या है महाआयोजन का रहस्य!
Ayodhya Ram Mandir Rituals: अयोध्या नगरी एक बार फिर दिव्यता और रहस्य के रंग में रंग गई है। श्रीराम जन्मभूमि परिसर में आज से भव्य प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान की शुरुआत हो चुकी है। ये आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसमें छिपी हुई गूढ़ विधियों ने इसे और भी रहस्यमय बना दिया है।
1975 वैदिक मंत्रों की गूंज से गूंजा अयोध्या: 101 पुजारी कर रहे अग्निहोत्र
आज और कल सुबह 6:30 बजे से लेकर 12 घंटे तक 101 वैदिक आचार्य 1975 मंत्रों के साथ यज्ञ और अग्निहोत्र कर रहे हैं। इन मंत्रों के उच्चारण के साथ अग्नि देव को आहुति दी जा रही है। यह यज्ञ सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आत्मिक ऊर्जा का संचार माना जा रहा है।
5 जून को होगा ऐतिहासिक समापन
तीन दिवसीय इस आयोजन का समापन 5 जून को राम दरबार (श्रीराम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान) की प्राण प्रतिष्ठा के साथ होगा। साथ ही सात अन्य मंदिरों में देव प्रतिमाओं की स्थापना की जाएगी। यह आयोजन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में संपन्न होगा।
पहले दिन के अनुष्ठान: पंचांग पूजन से लेकर जलाधिवास तक
पहले दिन पंचांग पूजन, मंडप प्रवेश, ग्रह योग, अग्निस्थापन, वन पूजन और जलाधिवास जैसे संस्कार किए गए। इन सभी कर्मकांडों का नेतृत्व काशी के यज्ञाचार्य जयप्रकाश और 101 वैदिक विद्वानों द्वारा किया जा रहा है।
बुधवार को होंगे योगिनी और नवग्रह पूजन
बुधवार को वेदी पूजन, षोडश मात्रिका, योगिनी पूजन, नवग्रह पूजन, यज्ञकुंड संस्कार और अग्निस्थापन जैसे अनुष्ठान संपन्न होंगे। साथ ही मूर्तियों के संस्कार की प्रक्रिया भी शुरू होगी।
रामनगरी में दिखा दिव्य उत्साह: श्रद्धालुओं में उमड़ा आस्था का सैलाब
अयोध्या की गलियों में भक्ति की बयार बह रही है। देश-विदेश से पहुंचे श्रद्धालु इस ऐतिहासिक क्षण का हिस्सा बनने के लिए मंदिर परिसर में उमड़ रहे हैं। यह आयोजन न केवल आध्यात्मिक जागरण का प्रतीक है, बल्कि भारतीय संस्कृति की जीवंतता का प्रमाण भी है।
क्या इस प्राचीन अनुष्ठान से जागेगी नई ऊर्जा?
श्रीराम जन्मभूमि में जारी यह प्राचीन वैदिक अनुष्ठान केवल धार्मिक कर्तव्य नहीं, बल्कि देश की आध्यात्मिक ऊर्जा को जागृत करने का माध्यम माना जा रहा है। 1975 मंत्रों के साथ हो रहा यह आयोजन, आने वाले समय में राष्ट्र को एक नई दिशा दे सकता है।