Avasaneshwar Temple Incident: बाराबंकी के अवसानेश्वर मंदिर में सावन सोमवार की रात करंट फैलने से मची भगदड़ में दो श्रद्धालुओं की मौत हो गई और 32 से अधिक घायल हो गए। हादसा बंदरों द्वारा बिजली का तार तोड़ने से हुआ, जिससे टीन शेड में करंट फैल गया।
Barabanki Temple Accident: बाराबंकी के हैदरगढ़ क्षेत्र में स्थित प्रसिद्ध अवसानेश्वर महादेव मंदिर में सावन के तीसरे सोमवार को जलाभिषेक के दौरान एक बड़ा हादसा हो गया। रविवार रात जैसे ही घड़ी ने 12 बजाए, मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा। लेकिन यह आध्यात्मिक उत्साह एक दर्दनाक हादसे में तब्दील हो गया, जब देर रात लगभग 2 बजे करंट फैलने से भगदड़ मच गई और दो श्रद्धालुओं की जान चली गई।
करंट क्यों फैला? बंदरों की शरारत बनी हादसे की वजह!
प्रशासनिक जांच में सामने आया कि हादसे के पीछे एक अप्रत्याशित कारण था- बंदर। दरअसल, मंदिर परिसर में बंदरों ने बिजली का तार तोड़ दिया, जो गिरकर टीन शेड पर आ पड़ा। इससे पूरे शेड में करंट फैल गया। जैसे ही लोगों को झटका महसूस हुआ, भगदड़ मच गई और स्थिति बेकाबू हो गई।
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कैसे मची भगदड़ और किसे पहुंचा नुकसान?
घटना के दौरान सैकड़ों श्रद्धालु जलाभिषेक के लिए कतार में थे। करंट लगते ही अफरा-तफरी मच गई और भगदड़ में कई लोग जमीन पर गिर पड़े। पुलिस के अनुसार, लोनीकटरा थाना क्षेत्र के मुबारकपुरा गांव निवासी 22 वर्षीय प्रशांत की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि 30 वर्षीय एक अन्य श्रद्धालु ने त्रिवेदीगंज सीएचसी में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। इसके अलावा, 32 से अधिक लोग घायल हो गए, जिनमें कई को गंभीर हालत में उच्च चिकित्सा केंद्रों में रेफर किया गया।
हादसे की जानकारी मिलते ही प्रशासन हरकत में आया। डीएम शशांक त्रिपाठी सहित जिले के वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे। उन्होंने बताया कि हादसे की मुख्य वजह बिजली का टूटा हुआ तार था, जिसे बंदरों ने नुकसान पहुंचाया था। घायलों को तुरंत सीएचसी और जिला अस्पताल भेजा गया, जहां उनका इलाज जारी है।
क्या फिर शुरू हुई पूजा-अर्चना?
हादसे के बाद मंदिर परिसर में कुछ समय के लिए भय और शोक का माहौल रहा। लेकिन स्थानीय प्रशासन की त्वरित कार्रवाई और स्थिति के सामान्य होने के बाद श्रद्धालुओं ने पुनः पूजा-अर्चना शुरू की। फिलहाल मंदिर में स्थिति शांतिपूर्ण और नियंत्रित बताई जा रही है।
जिलाधिकारी ने संकेत दिए हैं कि मंदिर परिसर में सुरक्षा उपायों की समीक्षा की जाएगी, विशेषकर विद्युत व्यवस्थाओं को लेकर। साथ ही, बंदरों की समस्या से निपटने के लिए वन विभाग से भी सहयोग लिया जाएगा। स्थानीय लोगों की मांग है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों, इसके लिए स्थायी समाधान निकाला जाए।
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