सार

amu doctors strike: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में डॉक्टरों की हड़ताल से स्वास्थ्य सेवाएं ठप, कई मरीजों की मौत और सैकड़ों का इलाज रुका। मारपीट और फायरिंग की घटना के बाद डॉक्टर सुरक्षा की मांग कर रहे हैं।

AMU medical college strike: "जहां इलाज की उम्मीद लेकर पहुंचे थे लोग, वहां मिला ताले लगे दरवाजे" अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) के जेएन मेडिकल कॉलेज में रेजीडेंशियल डॉक्टरों की हड़ताल ने शहर की स्वास्थ्य व्यवस्था को बुरी तरह हिला कर रख दिया है। 24 अप्रैल की रात को हड़ताल अपने दूसरे दिन में दाखिल हो गई, लेकिन इमरजेंसी सेवाएं अब भी पूरी तरह ठप रहीं। अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार दो दिन में 4 गंभीर मरीजों की जान चली गई और करीब 1200 मरीजों को बिना इलाज के लौटना पड़ा।

मारपीट में घायल युवक की मौत बनी चिंगारी

हड़ताल की शुरुआत उस घटना से हुई, जब 22 अप्रैल को एएमयू परिसर में हॉर्स शो के दौरान डॉक्टरों के साथ बदसलूकी और फायरिंग की गई। इसी घटना के विरोध में रेजीडेंट डॉक्टरों ने हड़ताल का ऐलान कर दिया और इमरजेंसी सेवाएं बंद कर दीं। इस हड़ताल का सीधा असर आम लोगों पर पड़ा। बरला कस्बे से एक घायल युवक सुरेंद्र को मेडिकल कॉलेज लाया गया, लेकिन समय पर इलाज न मिलने के कारण उसकी मौत हो गई। इसी तरह तीन और मरीजों की मौत की खबर है, जिनकी पहचान नहीं हो पाई है।

डॉक्टरों की तीन मुख्य मांगें

  1. मेडिकल कॉलेज के प्रवेश बिंदुओं पर मेटल डिटेक्टर लगाए जाएं
  2. इमरजेंसी क्षेत्र में अतिरिक्त सुरक्षा व्यवस्था हो
  3. डॉक्टरों के साथ बदसलूकी और फायरिंग करने वालों की गिरफ्तारी हो

विश्वविद्यालय प्रशासन की कार्रवाई

  1. मेडिकल कॉलेज में 15 पूर्व सैनिकों की तैनाती तय की गई है
  2. पुलिस बल की शिफ्ट आधारित तैनाती के लिए जिला प्रशासन को पत्र भेजा गया
  3. डॉक्टरों की मांग पर प्रवेश द्वारों पर मेटल डिटेक्टर तुरंत लगाए गए

प्रशासन और RDA के बीच बातचीत जारी

रिपोर्ट के अनुसार, एएमयू के प्रॉक्टर प्रो. वसीम अली ने बताया कि हड़ताली डॉक्टरों से बातचीत सकारात्मक रही है। वहीं RDA अध्यक्ष डॉ. मो. आसिम सिद्दिकी ने कहा कि सभी मुद्दों को लेकर देर रात आम सभा की बैठक बुलाई गई है, जिसमें हड़ताल को लेकर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

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