सार
राजस्थान के बीकानेर के IPS प्रेमसुख डेलू की कहानी प्रेरणादायक है। उन्होंने गरीबी से लड़कर12 सरकारी नौकरियां हासिल कीं, लेकिन उनका सपना IPS बनने का था। जबकि प्रेमसुख एक बार पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा देत हुए फेल हो गए थे। फिर भी वो निराश नहीं हुए।
बीकानेर (राजस्थान). सफलता तक पहुंचने का सफर आसान नहीं होता, लेकिन कुछ लोग अपनी मेहनत और जुनून से नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाते हैं। ऐसी ही कहानी है राजस्थान के बीकानेर जिले के प्रेमसुख डेलू (IPS Premsukh Delu) की, जिन्होंने एक के बाद एक 12 सरकारी नौकरियां हासिल कीं, लेकिन उनका सपना आईपीएस बनने का था। उन्होंने संघर्षों से लड़ते हुए UPSC पास किया और अपने सपनों को साकार किया। उनके पिता ऊंट गाड़ी चलाते थे ,गांव के लोगों ने उन्हें कहा था कि तुम्हारा बेटा भी कुछ बड़ा नहीं कर पाएगा...। लेकिन बेटे ने इतिहास रच दिया।
पिता के साथ चराते थे भेड़-बकरी
1. गांव की पगडंडियों से आईपीएस बनने तक का सफर
बीकानेर के एक छोटे से गांव में जन्मे प्रेमसुख डेलू का जीवन संघर्षों से भरा रहा। उनके पिता ऊंट गाड़ी चलाकर अपने परिवार का पालन-पोषण करते थे। खुद डेलू पिता के साथ भेड़-बकरी और ऊंटों को चरान के लिए जाया करते थे। लेकिन उनके पिता ने आर्थिक तंगी के बावजूद प्रेमसुख ने पढ़ाई से समझौता नहीं किया। सरकारी स्कूल से शुरुआती शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने बीकानेर के डूंगर कॉलेज से इतिहास में एमए किया।
Inttelligent ऐसा की एक के बाद एक हासिल की 12 नौकरियां
2. सरकारी नौकरी की झड़ी:
एक के बाद एक 12 सिलेक्शन उनकी मेहनत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्होंने सबसे पहले पटवारी की परीक्षा पास की। इसके बाद वे राजस्थान ग्रामसेवक भर्ती परीक्षा में टॉप-2 में आए। यही नहीं, सहायक जेलर भर्ती परीक्षा में भी वे टॉपर बने। फिर राजस्थान पुलिस में सब-इंस्पेक्टर बने, लेक्चरर पद हासिल किया और तहसीलदार के पद तक पहुंचे। लेकिन उनकी असली मंजिल तो कुछ और थी।
2015 में UPSC परीक्षा में 170वीं रैंक की हासिल
3. तहसीलदार बनने के बाद भी जारी रखी UPSC की तैयारी
सरकारी नौकरी करने के बावजूद प्रेमसुख ने अपने सपने को नहीं छोड़ा। तहसीलदार जैसे महत्वपूर्ण पद पर रहते हुए भी वे सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी में लगे रहे। ड्यूटी के बाद घंटों पढ़ाई करते और यूपीएससी के पैटर्न को समझकर रणनीति बनाते। उनका यह समर्पण रंग लाया और उन्होंने 2015 में UPSC परीक्षा में 170वीं रैंक हासिल की।
पहली पोस्टिंग गुजरात के अमरेली जिले में एसीपी की
4. जब आईएएस बनने का सपना आईपीएस में बदला
प्रेमसुख का सपना आईएएस बनने का था, लेकिन उनकी रैंक के अनुसार उन्हें आईपीएस कैडर मिला। हालांकि, उन्होंने इसे भी अपनी सफलता का एक नया अध्याय माना। उनकी पहली पोस्टिंग गुजरात के अमरेली जिले में एसीपी के रूप में हुई। वे वर्तमान में गुजरात में ही पोस्टेड हैं।
आईपीएस प्रेमसुख डेलू की प्रेरक कहानी
5. सीख: मेहनत और धैर्य ही सफलता की कुंजी प्रेमसुख डेलू की कहानी बताती है कि कोई भी सपना बड़ा नहीं होता, बस उसे पूरा करने के लिए सही दिशा में मेहनत करनी पड़ती है। उन्होंने दिखा दिया कि कठिनाइयों के बावजूद अगर मन में जुनून हो, तो सफलता आपके कदम चूमती है। उनकी यह यात्रा आज हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुकी है।