farmers success story : राजस्थान के किसान जैविक खेती से कमा रहे हैं मुनाफा! धनिया, मेथी, जीरा की खेती से अमेरिका तक डिमांड। किसानों ने बदली अपनी जिंदगी!
पाली. खेती के मामले में राजस्थान का क्या कहना। राजस्थान के किसान इस कदर जैविक खेती (farmers organic farming)अपना रहे हैं कि उन्हें मुनाफा तो हो ही रहा है। साथ ही उनके प्रोडक्ट की डिमांड दूसरे राज्यों और विदेशों में होने लगी है। एक ऐसे ही किसान राजस्थान के पाली के रहने वाले लालाराम डूडी है। जिनके द्वारा की गई खेती का अमेरिका जैसा देश भी मुरीद है। खेती करके लालराम खुद मसाले सहित अन्य प्रोडक्ट तैयार करते हैं जिनकी डिमांड विदेश में काफी ज्यादा रहती है।
जैविक खेती करते हैं पाली के किसान लालाराम
किसान लालाराम जैविक खेती के जरिए अपने खेत में धनिया, मैथी,जीरा की जैविक खेती करते हैं। इन फसलों का भाव इंडिया में तो करीब 4 हजार रुपए क्विंटल तो होता ही है। साथ ही विदेशों में भी इन्हें देकर अच्छा मुनाफा होता है। लालाराम बताते हैं कि उन्होंने अपने साथ जैविक खेती करने वाले करीब 1 हजार से ज्यादा किसानों को जोड़ा हुआ है।
अमेरिका में सप्लाई होती है इनकी फसल
जो सभी हर साल करीब 20 से 30 हजार टन जीरा और मैथी अमेरिका में सप्लाई करते हैं। सबसे खास बात तो यह है कि इनका भाव कोई बिचौलिया नहीं बल्कि सप्लाई देने वाले किसान खुद तय करते हैं। लालाराम के साथ पाली,बाड़मेर ,जैसलमेर के कई किसान जुड़े हुए हैं। जो आज अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।
क्यों है इनके प्रोडक्ट की विदेश में डिमांड?
- लालाराम बताते हैं कि अब क्षेत्र में किसान मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा देने लगे हैं। वर्तमान में बाजरे की फसल के जरिए जैविक उत्पाद तैयार करके विदेशों में भी उनकी प्रदर्शनी लगाई जाती है। बाजरे से निर्मित बिस्किट सहित अन्य प्रोडक्ट की विदेश में काफी डिमांड रहती है। लालाराम बताते हैं कि उनके किसानों के ग्रुप के साथ कई स्वयं सहायता समूह में महिलाएं भी जुड़ी हुई है।
- लालाराम 1998 से खेती कर रहे हैं। वह बताते हैं कि पहले उन्होंने भी पारंपरिक खेती करना शुरू किया था। लेकिन पारंपरिक खेती में मेहनत तो ज्यादा थी और मुनाफा कम। लेकिन अब जैविक खेती के जरिए उनकी जिंदगी ही बदल चुकी है। लालाराम बताते हैं कि जीरा और मैथी का उपयोग न केवल खाने में बल्कि औषधि बनाने में भी होता है।