सार

गणतंत्र दिवस पर जानिए तीन सहेलियों की कहानी, जिन्होंने अपने सपनों को पंख दिए और देश की पहली महिला फाइटर पायलट बनीं। इनकी सफलता युवाओं के लिए प्रेरणा है।

जयपुर. गणतंत्र दिवस पर विशेष सपनों को मंजिल देने की तीन कहानियां, जो आपको जोश-जूनून से भर देंगी... युवाओं की रॉल मॉडल हैं तीनों सहेलियां जयपुर गणतंत्र दिवस पर आज उन तीन सहेलियों की कहानी जो देश के हर युवा के लिए प्रेरणा साबित हो सकती हैं। तीनों ने बचपन में ही अपने सपने को सफल बनाने के लिए जी तोड़ मेहनत की और फिर ऐसा मुकाम पाया कि अब देश ही नहीं दुनिया में इनका नाम है। तीनों कहानी जानना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि आज कैरियर की चुनौती युवाओं के लिए बाधा बन रही है और युवाओं में सुसाइड करने की प्रवृति तेजी से बढ़ रही है। तीनों सहेलियों का राजस्थान से गहरा नाता है। तीनों के नाम भारत की पहली लड़ाकू महिला पायलट होने का गौरव है।

स्क्वाड्रन लीडर अवनी चतुर्वेदी की कहानी

सबसे पहले बात स्क्वाड्रन लीडर अवनी चतुर्वेदी की। अक्टूबर 1993 में जन्मीं अवनी एमपी के रीवा की रहने वाली हैं। वे भारतीय महिला पायलट हैं। बचपन में ही उन्होनें विमान उड़ाने का सपना देखा था और इसे पूरा करने के लिए मेहनत में जुट गई थीं। राजस्थान के वनस्थली विद्यापीठ से शिक्षा पाने वाली अवनी ने कुछ समय पहले ही फ्लाइट लेफ्टिनेंट विनीत चिकारा से शादी की है।

स्क्वाड्रन लीडर मोहना सिंह की कहानी…

अब बात राजस्थान के झुंझुनूं जिले की रहने वाली स्क्वाड्रन लीडर मोहना सिंह की। उनका जन्म जनवरी 1992 में झुंझुनू जिले में हुआ। नई दिल्ली से स्कूलिंग और पंजाब से बीटेक करने वाली मोहना के पिता भारतीय वायुसेना से लंबे समय तक जुडे़ रहें। उनको देखकर ही बेटी ने बचपन में ही उड़ान भरने के सपने देखे और माता-पिता की मेहनत कुछ ही समय में रंग ले आई। मोहना को भी अवनी चतुर्वेदी और उनकी तीसरी दोस्त भावना कंठ के साथ पहली महिला लड़ाकू पायलट घोषित किया गया है। स्क्वाड्रन लीडर मोहना सिंह को 9 मार्च 2020 को उन्हें राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद द्वारा नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

बिहार की बेटी भावना कंठ की कहानी

बिहार के दरभंगा में जन्मी भावना कंठ भी इस तिकड़ी में शामिल हैं। उन्होनें राजस्थान के कोटा से कैरियर शुरू किया। वहां से इंजीनियरिंग करने के बाद बेंगलुरू में मेडिकल इलेक्ट्रॉनिक्स में डिग्री हासिल की। सपना विमान उड़ाना था जो बचपन में ही देख लिया था। लेकिन वहां तक कैसे पहुंचना है इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी। भावना ने एयर फ़ोर्स कॉमन एडमिशन टेस्ट दिया और सफल हुई। उसके बाद लगातार सफलता मिलती चली गई और आज ष्फ्लाइट लेफ्टिनेंट भावना कंठ एक बड़ा नाम है।

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