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300 पुलिसकर्मियों का परिवारः शादी हो या किसी को हादसे से उबारना, भाई-बहन बनकर पहुंच जाते हैं मदद करने
सीकर (sikar). अक्सर हमने पुलिस को कानून व्यवस्था संभालते हुए चिल्लाते हुए या सख्ती करते हुए देखा होगा। लेकिन यही पुलिसकर्मी भले ही कितने ही सख्त क्यों ना हो लेकिन इनके अंदर भी हमेशा मदद भावना रहती है। इसका बेहतरीन उदारहण सीकर शहर में देखने को मिला।
| Published : Jan 27 2023, 02:08 PM IST / Updated: Jan 27 2023, 04:22 PM IST
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राजस्थान के सीकर जिले से जहां 300 पुलिसकर्मी एक दूसरे की मुसीबत में एक दूसरे के काम आते हैं। चाहे शादी हो या फिर कोई हादसा किसी के भी किसी भी चीज की कोई कमी नहीं आने देती। इसके लिए शुरू किया ये काम।
दरअसल सीकर पुलिस विभाग के पुलिसकर्मियों ने एक ग्रुप सीकर पुलिस भाई बहन के नाम से व्हाट्सएप पर बनाया हुआ है। इस ग्रुप में करीब 300 पुलिसकर्मी जुड़े हुए हैं। इस ग्रुप की शुरुआत 2019 में हुई।
तब इस ग्रुप का मकसद केवल पुलिसकर्मियों द्वारा अपने साथ हुई किसी भी घटना की जानकारी देना था। लेकिन फिर 2019 में एक महिला कॉन्स्टेबल मंजू का एक्सीडेंट हो गया। एक्सीडेंट पर मंजू के सिर और पैर पर गंभीर चोट आई।
मंजू परिवार इतना सक्षम नहीं था कि वह उसका अच्छे हॉस्पिटल में इलाज करा पाए। और ना ही उस टाइम कोई सरकारी योजना चल रही थी। ऐसे में उस दौरान ग्रुप में यह चर्चा हुई। इसके बाद इन 300 पुलिसकर्मियों ने इलाज के लिए करीब डेढ़ लाख जुटाए।
अचानक कुछ दिनों बाद ही पुलिस लाइन में तैनात एक कॉन्स्टेबल प्रद्युमन का भी एक्सीडेंट हुआ। यह एक्सीडेंट इतना जबरदस्त था कि प्रद्युमन का एक हाथ कट गया। हाथ कटने के बाद इलाज सरकारी हॉस्पिटल में नहीं बल्कि प्राइवेट में ही संभव था।
इसके बाद उसे जयपुर के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया। प्रद्युमन के इलाज के लिए भी इस ग्रुप के जरिए करीब सवा 3 लाख रुपए जुटा गई।
हाल ही में सीकर पुलिस लाइन में तैनात नाई ओमप्रकाश जो पिछले करीब 10 साल से सीकर के पुलिसकर्मियों की कटिंग कर रहा था। उसके बेटे की जयपुर में शादी थी।
ऐसे में इन सभी पुलिसकर्मियों ने सोचा कि ओमप्रकाश की आर्थिक हालत भी ज्यादा ठीक नहीं है क्यों ना उसकी भी मदद की जाए। बस इसके बाद क्या था ग्रुप के जरिए 2.11 लाख रुपए जुटाए गए।
सीकर क्यूआरटी टीम के सदस्य भात भरने के लिए पहुंचे गए। पुलिसकर्मियों की इस अनूठी पहल को देखते हुए एसपी ने भी भात में 11 हजार रुपए का योगदान दिया।