cyber crime news : राजस्थान सरकार अब साइबर अपराध पर सख्त! संदिग्ध मोबाइल नंबर और IMEI को cyberpolice.nic.in पर ब्लॉक करवाएं। साइबर सुरक्षा के लिए बड़ा कदम!

cyber crime news : मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राजस्थान सरकार जहां प्रदेश के सर्वांगीण विकास के लिए कार्य कर रही है, वहीं नागरिकों की डिजिटल सुरक्षा को लेकर भी पूरी तरह सजग है। बदलते दौर में साइबर अपराध लगातार बढ़ रहे हैं और आम नागरिक कई बार ऑनलाइन धोखाधड़ी, ठगी और जालसाजी का शिकार बन जाते हैं। ऐसे में सरकार ने साइबर क्राइम पर प्रभावी नियंत्रण के लिए एक अहम पहल की है।

क्या है साइबर हेल्प डेस्क?

राज्य के सभी पुलिस थानों में अब साइबर हेल्प डेस्क की स्थापना की जा चुकी है। इन डेस्क की सहायता से कोई भी नागरिक यदि किसी संदिग्ध मोबाइल नंबर या IMEI नंबर की जानकारी रखता है, तो उसे अब केवल cyberpolice.nic.in पोर्टल के माध्यम से ब्लॉक करवा सकता है। यह सुविधा खासतौर से उन मामलों में कारगर होगी, जहां किसी का मोबाइल चोरी हो गया हो या फिर किसी फर्जी कॉल या फ्रॉड नंबर से ठगी की गई हो। राज्य सरकार की यह पहल डिजिटल सुरक्षा के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम मानी जा रही है। इससे न केवल साइबर अपराधियों पर लगाम लगेगी, बल्कि आम लोगों में सुरक्षा की भावना भी बढ़ेगी। पोर्टल पर जाकर कोई भी नागरिक संदिग्ध नंबर की रिपोर्ट दर्ज करा सकता है और त्वरित कार्रवाई की अपेक्षा कर सकता है।

साइबर ठगी से बचने के लिए करें क्या उपाय?

साइबर क्राइम अवेयरनेस अभियान के तहत अब राज्य में आम जनता को भी जागरूक किया जा रहा है कि वे किसी भी संदिग्ध लिंक पर क्लिक न करें, OTP साझा न करें और किसी अनजान नंबर से आई कॉल पर सतर्क रहें। राज्य सरकार का स्पष्ट संदेश है—डिजिटल राजस्थान, सुरक्षित राजस्थान।

क्या है साइबर अपराध

कंप्यूटर या इंटरनेट का उपयोग करके किए जाने वाले गैरकानूनी कामों को साइबर अपराध कहते हैं। इसमें हैकिंग, फ़िशिंग, पहचान की चोरी, वायरस फैलाना, और वित्तीय धोखाधड़ी जैसी गतिविधियाँ होती हैं। यह अपराध ऑनलाइन या डिजिटल उपकरणों का उपयोग करके किया जाता है। बता दें कि साइबर अपराध निजी व्यक्ति से लेकर कारोबार र व्यवसायों और सरकारों के लिए भी एक गंभीर खतरा । जिसका शिकार हर कोई हो सकता है।