World Environment Day 2025 : राजस्थान की डिप्टी सीएम ने पर्यावरण दिवस पर सिंदूर का पौधा लगाया। यह दुर्लभ पौधा औषधीय गुणों से भरपूर है और इसका उपयोग पारंपरिक रूप से सिंदूर बनाने में होता है।
World Environment Day 2025 : विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर राजस्थान की डिप्टी सीएम दिया कुमारी ने एक विशेष पहल करते हुए सिंदूर का पौधा लगाया। आमतौर पर तुलसी या नीम जैसे पौधे लगाए जाते हैं, लेकिन इस बार सिंदूर के पौधे को चुनकर उन्होंने न सिर्फ पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया, बल्कि भारतीय परंपरा और आयुर्वेदिक महत्व को भी सामने रखा।
सिंदूर का पौधे के भरपूर हैं फायदे
सिंदूर का पौधा, जिसे वनस्पति भाषा में Bixa orellana कहा जाता है, एक दुर्लभ औषधीय और धार्मिक महत्व का पौधा है। इसके बीजों से जो लाल रंग निकाला जाता है, वह पारंपरिक सिंदूर और प्राकृतिक रंगों में उपयोग होता है। इस पौधे को सिंदूरिया या रक्तचंदन भी कहा जाता है। यह पौधा न सिर्फ सजावटी होता है, बल्कि इसके बीज और पत्तों का उपयोग आयुर्वेदिक दवाओं में भी किया जाता है।
सिंदूर का पौधा हमारी परंपरा और स्वास्थ्य से जुड़ा
डिप्टी सीएम ने पौधारोपण करते हुए कहा कि, "आज जरूरत है कि हम सिर्फ पेड़ नहीं लगाएं, बल्कि ऐसे पौधे चुनें जिनका सांस्कृतिक और औषधीय महत्व हो। सिंदूर का पौधा हमारी परंपरा और स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है।"
कब और कैसे फल देता है सिंदूर का पौधा
इस पौधे को बढ़ने में थोड़ा समय लगता है। यह लगभग 2-3 वर्षों में पेड़ का रूप लेता है और 3-5 साल में फल देना शुरू करता है। राजस्थान जैसे गर्म इलाकों में इसकी देखरेख थोड़ी विशेष होती है, लेकिन यदि पानी और छाया का उचित प्रबंध हो तो यह अच्छी तरह पनपता है। विशेषज्ञों के अनुसार, सिंदूर के पौधे से मिलने वाला लाल रंग पूरी तरह प्राकृतिक होता है और इससे बने उत्पादों का उपयोग त्वचा रोगों, सूजन और घाव भरने में भी किया जाता है।