सार

Rajasthan Budget 2025 Live Updates : राजस्थान सरकार पर ₹6.4 लाख करोड़ का भारी कर्ज! बजट में क्या मिलेगी जनता को राहत या बढ़ेगा बोझ? विकास पर लगेगा ब्रेक?

जयपुर, राजस्थान सरकार आज अपना बहुप्रतीक्षित बजट 2025 पेश (Rajasthan Budget 2025) करने जा रही है, लेकिन इससे पहले प्रदेश की आर्थिक स्थिति को लेकर चिंताजनक आंकड़े सामने आए हैं। मौजूदा समय में राजस्थान पर 6.4 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है, जो राज्य की जीडीपी का 39% है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या सरकार इस बजट में जनता को राहत देने में सक्षम होगी या फिर बढ़ता कर्ज विकास की रफ्तार पर ब्रेक लगाएगा?

राजस्थान की आर्थिक स्थिति: आंकड़ों की जुबानी

  • राजस्थान पर ₹6.4 लाख करोड़ का कर्ज, प्रति व्यक्ति कर्ज ₹80,000।
  • ग्रॉस रेवेन्यू कलेक्शन का 14% हिस्सा सिर्फ ब्याज चुकाने में चला जाता है।
  • केंद्र सरकार ने कर्ज की सीमा तय कर रखी है, और राजस्थान उस सीमा के बेहद करीब पहुंच चुका है।
  • अगर कर्ज का आंकड़ा 18-19% ब्याज भुगतान तक पहुंचता है, तो यह प्रदेश की अर्थव्यवस्था के लिए खतरे की घंटी होगी।

राजस्थान सरकार पर बढ़ते कर्ज के पीछे क्या हैं कारण?

आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि कर्ज लेना जरूरी होता है, लेकिन संतुलित वित्तीय प्रबंधन भी उतना ही आवश्यक है। इंफ्रास्ट्रक्चर के नवनिर्माण और विकास कार्यों के लिए कर्ज लिया जाता है, लेकिन अगर इसकी सही तरीके से रीपेमेंट प्लानिंग न हो, तो यह आर्थिक संकट को और गहरा सकता है।

क्या विकास पर लगेगा ब्रेक?

  • विशेषज्ञों के अनुसार, अगर कर्ज और ब्याज चुकाने का बोझ बढ़ता रहा, तो राज्य के बुनियादी विकास कार्यों में कटौती करनी पड़ सकती है।
  • अगर 1 रुपये का राजस्व आता है और 15-19 पैसे सिर्फ ब्याज चुकाने में चले जाते हैं, तो बुनियादी ढांचे (सड़क, बिजली, पानी) के विकास के लिए पैसा बचाना मुश्किल होगा।
  • केंद्र सरकार की ओवरड्राफ्ट लिमिट पार करने पर राजस्थान को और अधिक कर्ज लेने से रोका जा सकता है।

क्या कहती है राजनीति?

नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि भाजपा सरकार ने अब तक का सबसे ज्यादा कर्ज लिया है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जनता से वसूले गए टैक्स और कर्ज का लाभ कुछ चुनिंदा लोगों तक सीमित है, जबकि सरकार के मैनेजमेंट की वजह से घाटा बढ़ रहा है।

राजस्थान सरकार को अब ऐसी योजनाएं लानी होंगी जो न सिर्फ जनता को राहत दें, बल्कि राजस्व घाटे को भी संतुलित करें। अगर कर्ज और ब्याज का बोझ इसी तरह बढ़ता रहा, तो भविष्य में राज्य की वित्तीय स्थिति और बिगड़ सकती है।

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