सार
कोटा (राजस्थान). कोटा विश्वविद्यालय के हाल ही में घोषित परीक्षा परिणामों ने छात्रों के बीच हड़कंप मचा दिया है। एमए समाजशास्त्र, भूगोल और अंग्रेजी जैसे विषयों में बड़ी संख्या में छात्र असफल हुए हैं, जिससे छात्रों ने परीक्षा प्रणाली और परिणामों की सत्यता पर सवाल उठाए हैं।
सरल विषय में भी पूरी कक्षा फेल
समाजशास्त्र में सभी छात्र फेल एमए समाजशास्त्र चतुर्थ सेमेस्टर के परीक्षा परिणामों में राजकीय कला महाविद्यालय के सभी 16 छात्र असफल हो गए। छात्रों के अनुसार, वे "विवाह और परिवार का समाजशास्त्र" और "समाजशास्त्र के संस्थापक" विषयों में फेल हुए हैं। पूरी कक्षा में एक भी छात्र पास नहीं हो सका, जिससे छात्र और उनके परिजन काफी चिंतित हैं।
17 में से 15 छात्र "रिजनल प्लानिंग" विषय में असफल
भूगोल में भी खराब स्थिति भूगोल विभाग के चतुर्थ सेमेस्टर में भी हालात अलग नहीं हैं। यहां 17 में से 15 छात्र "रिजनल प्लानिंग" विषय में असफल हो गए। इस कक्षा में केवल दो छात्राएं पास हुई हैं। यहां तक कि कक्षा के टॉपर भी इस बार फेल हो गए, जिससे छात्रों का आक्रोश और बढ़ गया है।
इंग्लिश में 15% की आगे बढ़ सके
अंग्रेजी में 85% छात्र असफल एमए अंग्रेजी चतुर्थ सेमेस्टर के परिणाम भी छात्रों के लिए निराशाजनक रहे। लगभग 50 छात्रों में से 40 से अधिक "कंटेपररी क्रिटिकल थ्योरी" विषय में असफल हो गए। छात्रों ने आरोप लगाया है कि परिणामों में त्रुटि हो सकती है।
कोटा विश्वविद्यालय में फेल होने पर हैरानी
छात्रों की आपत्तियां हितेश मालव, जो एमए भूगोल के टॉपर हैं, ने बताया कि अन्य विषयों में उनके 78% से अधिक अंक हैं, लेकिन "रिजनल प्लानिंग" में केवल 34% अंक मिलने के कारण वे फेल हो गए। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से पीएचडी प्रवेश परीक्षा पास की है, फिर भी कोटा विश्वविद्यालय में फेल होने पर हैरानी जताई।
कोटा विश्वविद्यालय के परिणामों पर सवाल?
प्रशासन का पक्ष परीक्षा नियंत्रक डॉ. प्रवीण भार्गव ने कहा कि परीक्षा परिणाम सही हैं। यदि किसी छात्र को संदेह है, तो वह रीवैल्यूएशन के लिए आवेदन कर सकता है। छात्र संगठनों का आक्रोश छात्र नेता विशाल सुमन और रोहिताश मीना ने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय हर साल रीवैल्यूएशन से करोड़ों की कमाई करता है, लेकिन छात्रों के करियर पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। छात्र संगठनों ने परिणामों की फिर से जांच की मांग की है और विश्वविद्यालय प्रशासन से पारदर्शिता बरतने का आग्रह किया है।
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