Rajasthan Khajuraho temple: राजस्थान के किराडू मंदिर, जिसे 'राजस्थान का खजुराहो' भी कहा जाता है, के पीछे एक रहस्यमयी श्राप छिपा है। सूर्यास्त के बाद यहां रुकना मना है, क्योंकि मान्यता है कि ऐसा करने वाले पत्थर बन जाते हैं।
Kiradu Temple Rajasthan: राजस्थान को उसके राजसी किलों, हवेलियों और ऐतिहासिक धरोहरों के लिए पूरी दुनिया जानती है, लेकिन कुछ स्थान ऐसे भी हैं जो सिर्फ इतिहास नहीं, रहस्य भी समेटे हुए हैं। बाड़मेर जिले में स्थित किराडू मंदिर ऐसा ही एक अद्भुत स्थान है, जिसे ‘राजस्थान का खजुराहो’ भी कहा जाता है। कारण सिर्फ इसकी खूबसूरत नक्काशी ही नहीं, बल्कि इसके पीछे छिपा एक रहस्यमयी श्राप, जिसके कारण यहां सूर्यास्त के बाद रुकना सख्त मनाहै।
11वीं सदी की अनमोल धरोहर: कला और कामुकता का संगम
किराडू मंदिर समूह का निर्माण लगभग 11वीं-12वीं शताब्दी में हुआ था। ये मंदिर विशेष रूप से भगवान शिव और विष्णु को समर्पित हैं। इनका स्थापत्य सोलंकी शैली में है, जिसमें बारीक नक्काशी, शिल्प और मूर्तिकला दक्षिण भारत की भव्यता का अनुभव कराते हैं। इन मूर्तियों में कई ऐसी कामुक मुद्राएं देखने को मिलती हैं जो खजुराहो की याद दिलाती हैं, इसी वजह से इसे राजस्थान का खजुराहो कहा जाता है।
1000 साल पुराना मंदिर, परमार राजाओं की देन
इतिहासकारों के अनुसार, किराडू मंदिरों का निर्माण परमार वंश के शासकों द्वारा कराया गया था। यहां 5 प्रमुख मंदिर हैं, जिनमें से सोमेश्वर महादेव मंदिर सबसे विशाल और प्रभावशाली है। इन मंदिरों में उकेरी गई कलाकृतियां उस युग की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की मिसाल हैं।
श्रापित गांव की दास्तान: सूरज ढले तो पत्थर बन जाते हैं लोग!
किराडू मंदिर को लेकर लोककथाओं में एक श्राप का ज़िक्र मिलता है। कहा जाता है कि एक संत ने गांववासियों को श्राप दिया था कि सूरज ढलते ही वे पत्थर में बदल जाएंगे, क्योंकि उन्होंने उनके बीमार शिष्य की सहायता नहीं की थी। सिर्फ एक कुम्हार महिला ने मदद की, जिसे संत ने आशीर्वाद देकर गांव छोड़ने को कहा, बस शर्त थी कि वो पीछे मुड़कर न देखे।
जिज्ञासा के चलते उसने पीछे देखा और वही भी पत्थर में बदल गई। आज भी कहा जाता है कि उस महिला की मूर्ति पास के क्षेत्र में स्थित है।
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सरकारी चेतावनी: सूर्यास्त के बाद प्रवेश निषेध
इस रहस्यमयी कथा और इसके आसपास के माहौल को देखते हुए, सरकार द्वारा शाम के समय मंदिर में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया गया है। स्थानीय लोग भी मानते हैं कि यहां रात में रुकना अशुभ हो सकता है। कुछ पर्यटक इसे भूतिया स्थल मानते हैं, तो कुछ इसे धार्मिक चेतावनी के तौर पर देखते हैं।
कैसे पहुंचे किराडू मंदिर? जानिए रूट प्लानिंग
अगर आप इस अद्भुत स्थान की यात्रा करना चाहते हैं, तो ये रूट आपके काम आएगा:
- सड़क मार्ग: बाड़मेर से लगभग 35-40 किलोमीटर की दूरी, टैक्सी या बस से पहुंचा जा सकता है
- रेल मार्ग: बाड़मेर रेलवे स्टेशन सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन है
- हवाई मार्ग: जोधपुर एयरपोर्ट, लगभग 200 किलोमीटर दूर है
यदि आप इतिहास, कला और रहस्य के शौकीन हैं, तो किराडू मंदिर आपकी यात्रा सूची में जरूर होना चाहिए। यहां की रहस्यमयी शांति, अद्भुत वास्तुकला और उससे जुड़ी श्राप की कहानियां इसे राजस्थान का सबसे अनोखा और रहस्यमयी स्थल बनाती हैं। लेकिन याद रहे, सूरज डूबने से पहले लौटना ना भूलें!
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