Friendship Day 2025: भारत समेत दुनिया भर में फ्रेंडशिप डे अगस्त के पहले संडे को मनाया जाएगा। इस मौके पर हम आपको बता रहे हैं राजस्थान में कोटा के रहने वाले दो दोस्तों की कहानी, जिन्होंने दोस्ती की अनोखी मिसाल कायम की है। एक हिंदू है तो दूसरा मुस्लिम…
Special Story of Friendship Day 2025: इस फ्रेंडशिप डे पर एक 40 साल पुरानी और दिल को छू लेने वाली दो हिंदू मुस्लिम दोस्तों की कहानी वायरल हो रही है। यह दोस्ती कोटा के कनसुवा बायपास रोड पर रहने वाले अब्दुल रऊफ अंसारी और विश्वजीत चक्रवर्ती की है। जिन्होंने अपनी यारी में धर्म और मजहब को नहीं आने दिया। इतना ही नहीं दोनों ने दो महीने पहले अपने बेटों की शादी एक मंडप में करके भाईचारे और इंसानियत की अनोखी मिसाल कायम की है।
दोनों ने साथ व्यापार किया और साथ घर बनाए
दोनों की दोस्ती 40 साल पुरानी है। दोनों ने साथ व्यापार किया, साथ घर बनाए, और अब अगली पीढ़ी को भी साथ जोड़ दिया। दोनों के बीच कभी धर्म और मजहब को लेकर कोई विवाद तक नहीं हुआ। दोनों की यारी की पूरा इलाका तारीफ करता है, लोगों का कहना है कि पूरे जमाने में हमने ऐसी दोस्ती नहीं देखी।
एक ही मंडप में बेटों का निकाह और 7 फेरे करवाए
17 अप्रैल को अब्दुल रऊफ के बेटे यूनुस अंसारी का निकाह फरहीन से पढ़ाया गया और 18 अप्रैल को विश्वजीत के बेटे सौरभ ने श्रेष्ठा से हिंदू रीति-रिवाज से सात फेरे लिए। खास बात यह रही कि दोनों शादियां एक ही मंडप में हुईं—बिना किसी बाधा या तनाव के। निमंत्रण पत्र भी संयुक्त रूप से छपवाया गया था, जिसमें एक ओर कुरान की आयतें थीं तो दूसरी ओर वैदिक मंत्रों का उल्लेख। रिसेप्शन में भी दोनों परिवारों ने एक-दूसरे के मेहमानों का दिल खोलकर स्वागत किया। यूनुस की बारात का स्वागत विश्वजीत ने किया, वहीं सौरभ की घोड़ी की अगवानी अब्दुल रऊफ ने की।
Friendship Day से पहले दोस्ती के किस्से हो रहे वायरल
- Friendship Day 2025 से पहले लोग दोनों की दोस्ती की काहनी को सोशल मीडिया पर खूब शेयर कर रहे हैं। एक यूजर ने लिखा "अगर दोस्ती सच्ची हो, तो वह धर्म नहीं, दिल से चलती है।"
- दूसरे यूजर ने लिखा- जहां देश में अक्सर धर्म के नाम पर दीवारें खड़ी होती हैं, वहां कोटा की यह कहानी एक पुल बनकर सामने आई है। ‘मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना’
- तीसरे यूजर ने लिखा- इस Friendship Day, कोटा की यह कहानी याद दिलाती है कि जब रिश्ते दिलों से बनते हैं, तो धर्म, जाति या परंपराएं सिर्फ एक पृष्ठभूमि बन जाती हैं। असली बात होती है, सम्मान, विश्वास और दोस्ती।