सार
ambedkar jayanti 2025 : डॉ. अंबेडकर की जयंती पर जानिए उनके 5 बड़े आंदोलन, जिन्होंने दलितों और पूरे देश को प्रभावित किया। राजस्थान में भी अंबेडकर के विचारों का गहरा असर है।
जयपुर. आज 14 अप्रैल को भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती (doctor bhimrao ambedkar birth annniversary) मनाई जा रही है। लोग उन्हें संविधान निर्माता और दलितों के मसीहा के रूप में जानते हैं, लेकिन बहुत कम लोग यह जानते हैं कि उन्होंने ऐसे कई आंदोलन चलाए, जिनका प्रभाव केवल दलित समाज ही नहीं बल्कि पूरे देश के सामाजिक और राजनीतिक ताने-बाने पर पड़ा। राजस्थान में भी अंबेडकर के विचारों ने गहरा असर डाला है। आइए जानते हैं उनके पांच सबसे प्रभावशाली आंदोलनों के बारे में:
1. महाड़ सत्याग्रह (1927): यह आंदोलन महाराष्ट्र के महाड़ शहर में हुआ, जहाँ अंबेडकर ने दलितों को सार्वजनिक तालाब से पानी लेने का अधिकार दिलाने के लिए सत्याग्रह किया। इससे समानता की आवाज पूरे देश में गूंजी।
2. कालाराम मंदिर प्रवेश आंदोलन (1930): नासिक के प्रसिद्ध मंदिर में प्रवेश से वंचित दलितों के लिए यह आंदोलन ऐतिहासिक रहा, जिसने धार्मिक भेदभाव को चुनौती दी।
3. पूना समझौता (1932): ब्रिटिश सरकार के अलग निर्वाचन प्रस्ताव का गांधीजी ने विरोध किया, लेकिन अंबेडकर ने बातचीत कर दलितों को राजनीतिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया।
4. जाति उन्मूलन आंदोलन: ‘जाति का विनाश’ शीर्षक से अंबेडकर ने एक पुस्तक लिखी और देशभर में जातिवाद के खिलाफ क्रांति छेड़ दी, जिससे राजस्थान जैसे राज्यों में भी सामाजिक बदलाव की लहर आई।
5. बौद्ध धर्म आंदोलन (1956): अंत में अंबेडकर ने करोड़ों लोगों के साथ बौद्ध धर्म अपनाया और आत्म-सम्मान का नया रास्ता दिखाया।
इन आंदोलनों ने भारत को एक समतामूलक समाज बनाने की दिशा में मजबूत नींव दी। राजस्थान में अंबेडकर की जयंती बड़े स्तर पर मनाई जाती है, जो इस बात का प्रमाण है कि उनके विचार आज भी कितने प्रासंगिक हैं।