सार

उद्धव ठाकरे ने राज ठाकरे को साथ आने का न्योता दिया है। महाराष्ट्र के हित के लिए दोनों भाई एक साथ आने को तैयार हैं। क्या यह महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया मोड़ लाएगा?

Uddhav Thackeray: क्या महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया मोड़ आने वाला है? शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे के बयान से यह सवाल पूछा जाने लगा है। उद्धव ने शनिवार को अपने चचेरे भाई राज ठाकरे की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाया।

उद्धव ठाकरे के साथ अनबन के चलते राज ठाकरे शिवसेना से अलग हुए थे। उन्होंने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना नाम की अपनी पार्टी बनाई थी। बाद में शिवसेना में भी टूट हो गई। अब उद्धव ठाकरे अपने भाई को साथ लाने की कोशिश कर रहे हैं। मुंबई में इस साल नगर निकाय बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के चुनाव होने हैं।

उद्धव ठाकरे बोले- महाराष्ट्र का हित मेरी प्राथमिकता

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भारतीय कामगार सेना की 57वीं वार्षिक आम बैठक को संबोधित करते हुए कहा, "मैं साथ आने (राज ठाकरे के साथ) के लिए तैयार हूं। मैं छोटी-मोटी घटनाओं को दरकिनार करते हुए महाराष्ट्र के हित में आगे आने के लिए तैयार हूं। मैंने सभी झगड़ों को खत्म कर दिया है। महाराष्ट्र का हित मेरी प्राथमिकता है।"

राज ठाकरे बोले- साथ आना मुश्किल नहीं

उद्धव ठाकरे के बयान पर राज ठाकरे ने भी सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, "उद्धव और मेरे बीच विवाद और झगड़े मामूली हैं। महाराष्ट्र इन सबसे कहीं बड़ा है। ये मतभेद महाराष्ट्र और मराठी लोगों के अस्तित्व के लिए महंगे साबित हो रहे हैं।"

उन्होंने कहा, "साथ आना मुश्किल नहीं है। यह इच्छा की बात है। यह सिर्फ मेरी इच्छा या स्वार्थ की बात नहीं है। हमें बड़ी तस्वीर देखने की जरूरत है। सभी राजनीतिक दलों के मराठी लोगों को साथ आना चाहिए और एक पार्टी बनानी चाहिए।"

मुझे उद्धव के साथ काम करने में आपत्ति नहीं थी: राज ठाकरे

राज ठाकरे ने कहा, "मैंने शिवसेना तब छोड़ी थी जब विधायक और सांसद मेरे साथ थे। मैंने अकेले चलना चुना। मैं बालासाहेब ठाकरे के अलावा किसी और के अधीन काम नहीं कर सकता था। मुझे उद्धव के साथ काम करने में कोई आपत्ति नहीं थी। सवाल यह है कि क्या दूसरे पक्ष में मेरे साथ काम करने की इच्छा है? अगर महाराष्ट्र चाहता है कि हम एक साथ आएं तो महाराष्ट्र को बोलने दो। मैं इस तरह के मामले में अपने अहंकार को आड़े आने नहीं दूंगा।"

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में हार से उद्धव ठाकरे को लगा है झटका

पिछले विधानसभा चुनाव में विपक्षी दलों के गठबंधन महा विकास अघाड़ी को बड़ी हार का सामना करना पड़ा था। लोकसभा चुनाव 2024 में इस गठबंधन ने महाराष्ट्र में अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन विधानसभा चुनाव में भाजपा, शिवसेना (एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली) और एनसीपी (अजीत पवार के नेतृत्व वाली) के गठबंधन ने उद्धव ठाकरे की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। भाजपा ने राज ठाकरे की पार्टी मनसे को अपनी ओर लाने की पूरी कोशिश की है। इस बीच उद्धव ठाकरे ने राज ठाकरे की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाकर ठाकरे परिवार को एकजुट करने की दिशा में कदम उठाया है।

महाराष्ट्र की राजनीति में दो प्रमुख हस्तियां राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे को राजनीति विरासत में मिली है। राज ठाकरे बाल ठाकरे के भतीजे हैं। वहीं, उद्धव ठाकरे बाल ठाकरे के बेटे। एक समय दोनों के बीच शिवसेना का अगला नेता बनने को लेकर संघर्ष था। राज ठाकरे को लंबे समय तक उनकी भाषण देने की शैली और आक्रामक राजनीति के कारण स्वाभाविक रूप से राज ठाकरे के उत्तराधिकारी के रूप में देखा गया था। 2000 के दशक की शुरुआत में बाला साहेब ने अपने शांत और अधिक संगठनात्मक सोच वाले बेटे उद्धव को पार्टी का नेतृत्व करने के लिए चुना। इसके बाद 2005 में राज ठाकरे शिवसेना से बाहर निकल गए और अपनी पार्टी बनाई।