सार

Sindhudurg News: सिंधुदुर्ग के जंगलों में वन्यजीव प्रेमी दर्शन वेंगुरलेकर ने एक वयस्क बाघ को कैमरे में कैद किया। यह दुर्लभ दृश्य इस क्षेत्र में बाघों की बढ़ती मौजूदगी और वन्यजीव संरक्षण की सफलता की ओर इशारा करता है।

Sindhudurg News: सिंधुदुर्ग—महाराष्ट्र का एक ऐसा जिला जहां अब भी नेचर के सबसे खूबसूरत रंग दिखाई देते हैं। लेकिन इस बार यहां के जंगल की खबर देशभर में गूंज रही है, वजह है—एक वयस्क बाघ की मौजूदगी, जो जंगल के फिर से जीवंत होने की गवाही दे रहा है। हालांकि पहले जंगल में बाघ की मौजूदगी के सटीक प्रमाण कम ही मिलते थे। पर हालिया वीडियो ने लोगों की धारणा बदल दी है और यह महाराष्ट्र वन विभाग और वन्यजीव संरक्षण ट्रस्ट (WCT) द्वारा इस जैविक गलियारे को सुरक्षित रखने के लिए किए जा रहे प्रयासों के सफल होने के सबूत दे रहा है।

सिंधुदुर्ग के जंगलों में कैमरे में कैद किया बाघ

हाल ही में वन्यजीव प्रेमी दर्शन वेंगुरलेकर ने सिंधुदुर्ग जिले के जंगलों में एक ऐसा दुर्लभ नजारा कैमरे में कैद किया, जो वर्षों बाद महाराष्ट्र के इस दक्षिण-पश्चिमी कोने में देखा गया। वे मालवन से डोडामर्ग की ओर यात्रा कर रहे थे, जब उन्होंने जंगल से एक विशाल जानवर को सड़क पार करते देखा तो सरप्राइज हुए, वह बाघ था, उन्होंने बिना देरी किए उसका वीडियो रिकॉर्ड किया। बाघ की कद-काठी, उसकी चाल और मौजूदगी साफ बता रही है कि यह इलाका अब भी बाघों के लिए सेफ है।

पहले भी दर्शन सिंधुदुर्ग के जंगलों में देख चुके हैं बाघ के पैरों के निशान

दर्शन का यह पहला अनुभव नहीं है। उन्होंने इससे पहले भी सिंधुदुर्ग के जंगलों में बाघ के पैरों के निशान देखे हैं, लेकिन मौजूदा सबूत ने उन्हें भी चौंका दिया। उनका कहना है कि अगर स्थानीय निवासी और वन विभाग मिलकर काम करें, तो यह क्षेत्र देश के प्रमुख टाइगर कॉरिडोर में तब्दील हो सकता है।

सिंधुदुर्ग-सतारा वन्यजीव गलियारा: पूर्व में 10 बाघों की दर्ज की गई थी मौजूदगी

इससे सह्याद्री टाइगर लैंडस्केप (STL) की अहमियत पता चलती है। यह क्षेत्र, जो महाराष्ट्र, गोवा और कर्नाटक की सीमाओं को जोड़ता है, वर्षों से वन्यजीवों के लिए एक अहम मार्ग रहा है। लेकिन शहरीकरण, अवैध कटाई और मानवीय हस्तक्षेप की वजह से सिंधुदुर्ग-सतारा वन्यजीव गलियारा रिस्क जोन में आ गया था। 2022-23 में महाराष्ट्र वन विभाग और वन्यजीव संरक्षण ट्रस्ट (WCT) द्वारा किए गए एक अध्ययन में STL में 10 बाघों की उपस्थिति दर्ज की गई थी, जिनमें से 8 वयस्क और 2 शावक थे।

बाघ के प्रजनन के प्रमाण ​भी मिले: जीवविज्ञानी गिरीश पंजाबी

वन्यजीव संरक्षण ट्रस्ट के संरक्षक जीवविज्ञानी गिरीश पंजाबी के अनुसार, STL में बाघ की उपस्थिति दुर्लभ है क्योंकि यह क्षेत्र कई गांवों और कृषि ज़मीन से घिरा हुआ है। बाघ अक्सर रात के अंधेरे में निकलते हैं, इसलिए उनको देख पाना मुश्किल होता है। फिर भी, हालिया वीडियो इस बात का प्रमाण है कि बाघ न केवल यहां आ रहे हैं, बल्कि कुछ स्थायी रूप से यहां रह भी रहे हैं। पंजाबी का मानना है कि इस क्षेत्र में कुछ स्थानीय बाघ भी हैं, जिनके प्रजनन के प्रमाण मिल चुके हैं, जिससे यह गलियारा और अधिक महत्वपूर्ण बन जाता है।

सह्याद्री टाइगर रिज़र्व को रिस्टोर करने के उपायों का पता लगाने के लिए बनी थी टीम

दरअसल, सिंधुदुर्ग-सतारा वन्यजीव गलियारा विशेष रूप से सह्याद्री बाघ रिज़र्व से काली टाइगर रिज़र्व तक बाघों के सुरक्षित आवागमन के लिए एक पुल की तरह काम करता है। अगर यह गलियारा सेफ नहीं रहेगा, तो बाघों के आवास टूट जाएंगे, जिससे उनकी संख्या में गिरावट आ सकती है। यही वजह है कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) ने अप्रैल 2018 में एक विशेष टीम गठित की, जिसमें भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) और महाराष्ट्र वन विभाग के विशेषज्ञ शामिल थे। इस टीम का मकसद STR (सह्याद्री टाइगर रिज़र्व) को रिस्टोर करने के उपायों का पता लगाना था।

कितने एरिया में फैला हुआ है STR?

आपको बता दें कि STR 600.12 वर्ग किलोमीटर के कोर एरिया और 565.45 वर्ग किलोमीटर के बफर जोन में फैला है, जिसमें सतारा, सांगली, कोल्हापुर और रत्नागिरी जिले शामिल हैं। इतना विशाल क्षेत्र, अगर सही तरीके से संरक्षित किया जाए, तो यह बाघों के लिए स्वर्ग बन सकता है।