सार

पुणे के दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल पर इलाज से इनकार कर गर्भवती महिला की जान लेने का आरोप, परिजनों ने ₹20 लाख की डिमांड का किया खुलासा। मामले में Maharashtra सरकार ने जांच समिति बनाई, CM Fadnavis और Aaditya Thackeray ने मांगी सख्त कार्रवाई।

 

Pune Pregnant Woman Death: महाराष्ट्र के पुणे (Pune) शहर में एक गर्भवती महिला की दर्दनाक मौत ने स्वास्थ्य व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। आरोप है कि दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल (Deenanath Mangeshkar Hospital) ने दर्द से कराह रही महिला को एडमिट करने के लिए पहले 20 लाख रुपये जमा करने को कहा। रुपया जमा नहीं होने तक इलाज से इनकार कर दिया। परिजन अभी रुपयों का इंतजाम करते कि महिला ने दम तोड़ दिया। पीड़ित महिला तनीषा के परिजनों ने दावा किया कि जब उसे तेज पेट दर्द और ब्लीडिंग के चलते अस्पताल लाया गया तो अस्पताल ने 3 लाख लेने से भी मना कर दिया। महिला, बीजेपी एमएलसी के पीए की पत्नी बतायी जा रही है।

अस्पताल का अमानवीय चेहरा

तनीषा की भाभी ने बताया कि हम ₹3 लाख लेकर अस्पताल की बिलिंग काउंटर पर पहुंचे लेकिन उन्होंने मरीज को भर्ती करने से इनकार कर दिया। वह दर्द में चीख रही थी लेकिन कोई इलाज नहीं मिला।

तनीषा के पति भाजपा एमएलसी अमित गोर्खे (BJP MLC Amit Gorkhe) के पर्सनल असिस्टेंट हैं। उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी जुड़वा बच्चों से गर्भवती थीं। इलाज न मिलने से उनकी हालत बिगड़ी और दूसरे अस्पताल में डिलीवरी के बाद उन्होंने दम तोड़ दिया।

विरोध और राजनीति गरमाई

इस मामले के सामने आते ही पुणे में अस्पताल के बाहर लोगों का आक्रोश फूट पड़ा। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने जोरदार प्रदर्शन किया और अस्पताल प्रशासन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।

मुख्यमंत्री ने क्या कहा?

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (CM Devendra Fadnavis) ने कहा कि इस घटना की जांच के लिए एक समिति बनाई गई है। परिवार से मिलने के बाद मैंने उन्हें भरोसा दिलाया कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ऐसे मामलों से निपटने के लिए Standard Operating Procedure (SOP) बना रही है।

अस्पताल द्वारा जारी एक खुले पत्र में संवेदनहीनता शब्द के इस्तेमाल पर आपत्ति जताई गई। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए CM ने कहा कि मुझे पता है कि Mangeshkar परिवार ने अस्पताल के लिए बहुत मेहनत की है लेकिन अगर गलती हुई है तो सुधार जरूरी है।

आदित्य ठाकरे ने उठाए सवाल

शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे (Aaditya Thackeray) ने भी मामले को लेकर सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जब उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने अस्पतालों को निर्देश दिया था कि मरीज को स्टेबलाइज किए बिना इलाज से इनकार नहीं किया जा सकता। अब यह नियम कहां गया? महिला को इमरजेंसी ट्रीटमेंट क्यों नहीं दिया गया। सरकार को इस बारे में जांच करनी चाहिए। फडणवीस को इस मुद्दे पर बोलना चाहिए। कोई भी सीएम इस तरह की प्रतिक्रिया नहीं देता। सरकार चुप है। भाजपा कार्यकर्ता असहाय महसूस कर रहे हैं। बहुत कम राज्य हैं जहां सीएम असहाय बैठे हैं। महिला भाजपा एमएलसी के पीए की पत्नी थी। वह चिकित्सा सहायता की मांग कर रही थी।