सार

Mumbai News: 73 साल की मालती चेतुल को 14 साल के संघर्ष के बाद सुप्रीम कोर्ट से मिली जीत, अब मिलेगी ₹41,985 की मासिक पेंशन। जानिए कैसे एक बुज़ुर्ग महिला ने सिस्टम से लड़कर अपना हक पाया।

Mumbai News: देश में ऐसे लाखों सरकारी कर्मचारी हैं, जो दशकों तक सेवा देने के बाद भी अपने हक के लिए दर-दर भटकते हैं। महाराष्ट्र की 73 वर्षीय महिला मालती चेतुल की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। उन्होंने आंगनवाड़ी सेविका से लेकर मुख्य सेविका तक की जिम्मेदारी निभाई, लेकिन जब बात उनके पेंशन की आई, तो उन्हें अपने हक के लिए 14 साल लंबा इंतजार करना पड़ा।

हाईकार्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया

सरकारी फाइलों में पेंशन के लिए जरूरी "सेवा अवधि" में सिर्फ सात दिन की कमी बता कर मालती को पेंशन से वंचित कर दिया गया। और यही से शुरू हुई उनकी कानूनी जंग। वह हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक गईं और आखिरकार 17 फरवरी 2025 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट से न्याय मिला। कोर्ट के इस फैसले के बाद उन्हें ₹41,985 प्रति माह पेंशन मिलने का आदेश हुआ।

मालती चेतुल कौन हैं?

मालती चेतुल ने 2 फरवरी, 1988 को आंगनवाड़ी सेविका के रूप में अपनी सेवा की शुरुआत की थी। वे 31 अक्टूबर, 2012 को "मुख्य सेविका" के पद से रिटायर हुईं। उन्होंने अपने पूरे करियर में कभी भी अपनी ड्यूटी से समझौता नहीं किया। लेकिन जब उन्हें अपने रिटायरमेंट के बाद जीवन यापन के लिए जरूरी पेंशन की बात आई, तो वह सिस्टम के ताने—बाने में उलझ कर रह गईं।

सेवा की अवधि पेंशन के लिए तय दिनों से 7 दिन कम

31 अक्टूबर 2012 को सेवानिवृत्त होने के बाद मालती चेतुल को उम्मीद थी कि उन्हें पेंशन मिलेगी, लेकिन विभाग ने यह कहकर पेंशन देने से मना कर दिया कि उनकी सेवा की अवधि पेंशन के लिए निर्धारित न्यूनतम दिनों से सात दिन कम है। सात दिन की इस कमी ने उनके 14 साल बर्बाद कर दिए। ये वही सरकारी सिस्टम था, जिसमें उन्होंने 24 साल से भी अधिक समय तक सेवा दी थी।

2018 में नागपुर औद्योगिक न्यायालय में केस

मालती चेतुल ने हार नहीं मानी। उन्होंने 2018 में नागपुर औद्योगिक न्यायालय में केस दर्ज किया। 6 दिसंबर 2018 को न्यायालय ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया और पेंशन देने का आदेश दिया। लेकिन यहां भी कहानी खत्म नहीं हुई। विभाग ने आदेश को मानने के बजाय उसे चुनौती देने का फैसला किया।

बॉम्बे हाईकोर्ट-सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार की हार

न्यायालय के आदेश के खिलाफ महिला एवं बाल कल्याण विभाग ने बॉम्बे हाई कोर्ट में अपील की। लेकिन यहां भी मालती की जीत हुई। लेकिन सरकार यहां भी नहीं रुकी। सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (SLP) दाखिल की और सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया कि औद्योगिक न्यायालय और हाई कोर्ट के आदेश को रद्द किया जाए। हालांकि, 17 फरवरी 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने SLP खारिज कर दी। अब विभाग ने चेतुल को ₹41,985 प्रतिमाह की पेंशन देने का आदेश जारी किया है।