सार

एक दूल्हा, जिसने शादी का जश्न छोड़ गांव के लिए सड़क बनाई, मेहमानों से पौधे मांगे, दहेज ठुकराया और पर्यावरण बचाने का लिया संकल्प—महाराष्ट्र के श्रीकांत की यह अनोखी शादी सोशल मीडिया पर बन गई मिसाल। क्या आपने सुना ये सच?

 

Unique Wedding: महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले के एक छोटे से गांव सुसा में 28 अप्रैल की सुबह कुछ अलग था। न बैंड की धुन, न शेरवानी का जलवा और न ही हल्दी-मेहंदी की चकाचौंध... फिर भी यह शादी लोगों के दिलों में हमेशा के लिए छप गई। क्योंकि इस दूल्हे ने ऐसा कदम उठाया, जिसकी गूंज अब पूरे देश में सुनाई दे रही है।

क्या आपने कभी ऐसा पर्यावरण प्रेमी दूल्हा देखा है?

श्रीकांत एकुडे, जो कृषि में पोस्ट-ग्रैजुएट हैं, उन्होंने शादी के तोहफों और बर्तन-फर्नीचर जैसे गिफ्ट्स को साफ मना कर दिया। मेहमानों से सिर्फ एक ही विनती की – “गिफ्ट में सिर्फ पौधे या किताबें लाईए।” इस विनम्र आग्रह का नतीजा ये हुआ कि दूल्हे के खेत में अब 90 से अधिक फलदार पौधे लहलहा रहे हैं – जिनमें स्टारफ्रूट, लीची, शहतूत, बेल, चारोली और भी कई दुर्लभ पेड़ शामिल हैं। श्रीकांत का कहना है कि "ये पेड़ हमारी शादी के साथ बड़े होंगे और हमें याद दिलाएंगे कि हम सिर्फ अपने लिए नहीं, समाज और पर्यावरण के लिए भी जिए।" – श्रीकांत

बारात नहीं निकाली, बल्कि बना डाली 600 मीटर की फार्म रोड!

 जब बाकी लोग शादी में लाखों खर्च कर देते हैं, श्रीकांत ने अपनी शादी की सादगी से एक बड़ा सामाजिक काम कर डाला। गांव से खेतों तक जो रास्ता मानसून में कीचड़ से तबाह हो जाता था, उसे ₹50,000 से पक्का करवाया। स्थानीय ग्राम पंचायत और ग्रामीणों की मदद से यह 600 मीटर लंबी सड़क अब किसानों के लिए वरदान बन गई है। "शादी केवल व्यक्तिगत खुशी का मौका नहीं, सामाजिक जिम्मेदारी निभाने का अवसर भी हो सकता है।"

‘ब्राइट एज’ से बदल रहे हैं आदिवासी युवाओं के भविष्य

श्रीकांत की सोच यहीं नहीं रुकी। उन्होंने चिमूर तहसील के भिसी गांव में ‘ब्राइट एज’ नामक शैक्षणिक केंद्र की शुरुआत की, जहां 55 से अधिक आदिवासी छात्र फ्री में कोचिंग, रहने और लाइब्रेरी की सुविधा पा रहे हैं। इस केंद्र की नींव उन युवाओं को सशक्त बनाने के लिए रखी गई है, जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं लेकिन संसाधनों की कमी से पीछे रह जाते हैं।

‘सीताई मसाला’ – दूल्हे की दादी की याद से शुरू हुआ स्टार्टअप

अपनी दिवंगत दादी की याद में श्रीकांत ने ‘सीताई’ नाम से एक घरेलू मसाला ब्रांड भी शुरू किया है, जिसमें मिर्च की खेती कर उसका वैल्यू एडिशन किया जाता है। यह ब्रांड न सिर्फ स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देता है, बल्कि महिलाओं को भी स्वरोजगार से जोड़ता है।

फुले-शाहू-अंबेडकर विचारधारा से प्रेरित एक युगल

श्रीकांत और अंजलि की शादी सिर्फ दो लोगों का मिलन नहीं, बल्कि एक आंदोलन की शुरुआत थी – जिसमें शिक्षा, पर्यावरण, समाज और आत्मनिर्भरता का संदेश छिपा है। उन्होंने अपने इस कदम को महात्मा फुले और अंबेडकर के सिद्धांतों को श्रद्धांजलि बताया। "हम चाहते थे कि हमारी शादी सिर्फ हमारा नहीं, पूरे गांव और समाज का उत्सव बने।"

श्रीकांत-अंजलि की शादी बन गई मिशाल

श्रीकांत और अंजलि की शादी बताती है कि सीमित साधनों से भी बड़ा बदलाव संभव है। जहां आजकल शादी दिखावे और फिजूलखर्ची का प्रतीक बन चुकी है, वहां इस जोड़े ने इसे सामाजिक सुधार और स्थायी विकास का जरिया बना दिया।