Mahayuti government crisis: महाराष्ट्र (Maharashtra) की राजनीति में सत्ता गठबंधन महायुति (Mahayuti) के भीतर तकरार गहराती दिख रही है। ताजा विवाद शिवसेना (Shiv Sena) के 20 विधायकों समेत कई नेताओं की ‘Y’ श्रेणी सुरक्षा (Y Security Cover) हटाने को लेकर है। इस फैसले से शिवसेना प्रमुख और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) नाराज बताए जा रहे हैं।
शिंदे गुट के विधायकों की सुरक्षा हटी, BJP-NCP के भी नेता प्रभावित
दरअसल, 2022 में शिवसेना से एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद महाराष्ट्र सरकार ने शिवसेना के 44 विधायकों और 11 लोकसभा सांसदों को Y श्रेणी सुरक्षा दी थी। लेकिन अब इन विधायकों की सुरक्षा को हटा लिया गया है या उनको कम कर दिया गया है। सरकार का दावा है कि हालिया सिक्योरिटी रिव्यू के बाद यह निर्णय लिया गया है लेकिन इस फैसले के बाद राज्य की राजनीति गरमा गई है। केवल शिवसेना विधायकों की नहीं भाजपा (BJP) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के कई नेताओं की सुरक्षा भी या तो हटी है या कम की गई है। हालांकि, सबसे अधिक 20 शिवसेना नेता इस फैसले की जद में आए हैं।
शिंदे को CM पद न मिलने की नाराजगी बरकरार?
शिंदे गुट की नाराजगी केवल सुरक्षा मामले तक सीमित नहीं है। उन्हें मुख्यमंत्री पद न मिलने और गार्जियन मिनिस्टर (Guardian Minister) की नियुक्ति को लेकर भी असंतोष है।
- राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (State Disaster Management Authority) में जगह देने के लिए नियम बदले गए।
- नाशिक (Nashik) और रायगढ़ (Raigad) के गार्जियन मिनिस्टर नियुक्त करने को लेकर विवाद।
- नाशिक में 2027 का कुंभ मेला (Kumbh Mela 2027) होने वाला है ऐसे में इन जिलों का प्रभार महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
- शिंदे ने हाल ही में फडणवीस की अध्यक्षता में हुई कुंभ मेले की समीक्षा बैठक (Kumbh Mela Review Meeting) को छोड़ दिया और कुछ दिनों बाद खुद एक अलग बैठक कर डाली।
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बीजेपी ने कहा-कोई नाराजगी नहीं
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) की नेता प्रियंका चतुर्वेदी (Priyanka Chaturvedi) ने इस विवाद पर X (Twitter) पर चुटकी लेते हुए लिखा,
‘महायुति वेलेंटाइन महीने का जश्न मना रही है...नॉट।’
हालांकि, बीजेपी नेता और महाराष्ट्र के आईटी मंत्री आशीष शेलार (Ashish Shelar) ने दावा किया कि, गठबंधन में सबकुछ ठीक है, कोई नाराजगी नहीं है। यह सिर्फ एक भ्रम है।
क्या महायुति में दरार गहरी हो रही है?
हाल के घटनाक्रमों को देखते हुए शिंदे और बीजेपी के बीच मतभेद बढ़ते दिख रहे हैं। चूंकि, इस बार महाराष्ट्र में बीजेपी के पास पूर्ण बहुमत है इसलिए शिंदे फिलहाल कोई दबाव सरकार पर बनाने में सफल होते नहीं दिख रहे हैं। इस बार सरकार बनने के पहले भी शिंदे मुख्यमंत्री पद को लेकर नाराज थे। हालांकि, बीजेपी के पास आवश्यक संख्या होने और महायुति में शामिल एनसीपी अजीत पवार गुट का साथ मिलने से वह आश्वस्त रहीं और शिंदे को मनाने में उसे अधिक मेहनत नहीं करना पड़ा। एक बार फिर यह सवाल मौजूं है कि क्या शिंदे का दबाव बीजेपी पर असर डालेगा? क्या गठबंधन में दरार और गहरी होगी?
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