सार

अकोला के साहिल इंगळे की लघु फिल्म 'अ डॉल मेड अप ऑफ क्ले' कान्स फिल्म फेस्टिवल में दिखाई जाएगी। ज़ीरो बजट में बनी यह फिल्म भारत से चुनी गई एकमात्र लघु फिल्म है, जो साहिल की मेहनत और लगन को दर्शाती है।

अकोला. विदर्भ के अकोला के साहिल इंगळे ने सिनेमा की दुनिया में अपनी मेहनत से एक अलग पहचान बनाई है। उनका बनाया लघु फिल्म 'अ डॉल मेड अप ऑफ क्ले' अब कान्स फिल्म फेस्टिवल में दिखाया जाएगा। यह सिर्फ़ अकोला के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व की बात है, क्योंकि यह इस प्रतिष्ठित महोत्सव के लिए भारत से चुना गया एकमात्र लघु फिल्म है।

साधारण पृष्ठभूमि, असाधारण सपना

साहिल इंगळे अभी कोलकाता के सत्यजित रे फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टिट्यूट से 'प्रोड्यूसिंग फॉर फिल्म एंड टेलीविजन' में पोस्ट ग्रेजुएशन कर रहे हैं। मूल रूप से अकोला के रहने वाले साहिल ने पुणे यूनिवर्सिटी से मास कम्युनिकेशन में ग्रेजुएशन किया है। "मास कम्युनिकेशन से मुझे समझ आया कि फिल्म समाज में बदलाव लाने का एक ज़बरदस्त ज़रिया हो सकता है," साहिल ने एक इंटरव्यू में बताया।

अनोखा विषय, दुनिया की भाषा में प्रस्तुति

'अ डॉल मेड अप ऑफ क्ले' में नाइजीरिया की योरूबा और बंगाली भाषा का इस्तेमाल किया गया है। साहिल इस फिल्म के प्रोड्यूसर हैं, और इसे इथियोपिया के स्टूडेंट कोकोब गब्रवारिया टेस्फे ने डायरेक्ट किया है। फिल्म एक नाइजीरियन लड़के के भारत में फुटबॉलर बनने के संघर्ष को दिखाती है। अपने सपने को पूरा करने के लिए वह अपने पिता की ज़मीन बेच देता है, और यहाँ के संघर्षों से जूझता है – यह कहानी दुनिया भर के लोगों से जुड़ती है।

ज़ीरो बजट, बेहिसाब मेहनत

इस फिल्म की खासियत है इसका ज़ीरो बजट। फिल्म के लिए सिर्फ़ इंस्टिट्यूट के संसाधन इस्तेमाल किए गए। बिना किसी खर्चे के, कम संसाधनों में यह फिल्म बनाई गई। "इच्छाशक्ति और क्रिएटिविटी से कुछ भी मुमकिन है," साहिल कहते हैं।

2700 फिल्मों में से टॉप 16 में

देश भर के फिल्म स्कूलों और यूनिवर्सिटी से 2700 से ज़्यादा लघु फिल्में कान्स के लिए भेजी गई थीं। इनमें से सिर्फ़ 16 फिल्मों को चुना गया, और साहिल की फिल्म भारत से अकेली चुनी गई। यह अकोला के एक साधारण लड़के के असाधारण सफ़र को मिली अंतरराष्ट्रीय पहचान है।

कान्स महोत्सव, गौरव की चोटी

कान्स फिल्म फेस्टिवल दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित फिल्म फेस्टिवल में से एक है। 1939 में शुरू हुए इस महोत्सव में फिल्म का दिखाया जाना ही एक सम्मान की बात है। यहाँ दुनिया भर की बेहतरीन कलाकृतियाँ दिखाई जाती हैं। ऐसे मंच पर अकोला के एक लड़के की फिल्म का दिखाया जाना महाराष्ट्र ही नहीं, बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व की बात है।

साहिल इंगळे की कामयाबी से अकोला में खुशी का माहौल है। कई लोगों ने उनकी तारीफ़ की है और बधाई दी है। सोशल मीडिया पर साहिल को शुभकामनाएं देने वाली पोस्ट्स की बाढ़ आ गई है।

साहिल इंगळे का सफ़र आज के युवाओं के लिए प्रेरणादायक है। कम संसाधनों में, मज़बूत इच्छाशक्ति और सामाजिक जागरूकता के साथ एक कलाकृति बनाकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन करने का काम साहिल ने किया है। उनकी यह कामयाबी आने वाले कलाकारों के लिए एक मिसाल बनेगी, इसमें कोई शक नहीं।