सार

पहलगाम में हुए आतंकी हमले से 15 मिनट पहले ही एक परिवार वहां से निकलने में सफल रहा। जानिए कैसे गुलशन मदान और उनके परिवार ने अपनी जान बचाई और 14 घंटे तक होटल के कमरे में बंद रहे। पढ़ें पूरी कहानी।

Pahalgam Terror Attack: जम्मू कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार दोपहर को हुए आतंकवादी हमले में 26 लोगों की जान चली गई और कई अन्य घायल हो गए। लेकिन एक परिवार ऐसा भी था, जिसने इस खौ़फनाक हमले से बाल-बाल अपनी जान बचाई। यह परिवार था मध्य प्रदेश के पांढुर्णा से गुलशन मदान और उनके परिवार का। गुलशन और उनका परिवार पहलगाम में घूमने के लिए आए हुए थे, लेकिन वे इस हमले से चमत्कारी तरीके से बच गए।

हमले से ठीक पहले घोड़े पर सवार होकर भागे

गुलशन मदान ने बताया कि उनके परिवार ने हमले से सिर्फ 15 मिनट पहले ही घोड़े पर सवार होकर पहलगाम से बाहर जाने का फैसला किया था। जैसे ही वे कुछ दूरी पर पहुंचे, पीछे से गोलियों की आवाजें सुनाई देने लगीं। इस आवाज को सुनते ही परिवार के लोग घबराए और बिना समय गंवाए जंगल के रास्ते से वापस एक होटल में लौट आए। यह वह पल था जब उन्हें एहसास हुआ कि वे कितना बड़ा खतरे से बाहर निकले हैं।

होटल में बंद होकर बिताई डरावनी रात

गुलशन और उनका परिवार होटल में लौटकर 14 घंटे तक कमरे में बंद रहे। बाहर सुरक्षाबल मुस्तैद थे और रास्ते सील थे। शहर का माहौल पूरी तरह से सन्नाटा था। बच्चों और महिलाओं के लिए यह एक डरावना अनुभव था। महिलाएं लगातार प्रार्थना कर रही थीं और बच्चे भयभीत थे। पूरी रात किसी को भी नींद नहीं आई।

पारिवारिक संपर्क और राहत की लहर

घटना के बाद गुलशन के परिजनों ने पांढुर्णा में उनके सुरक्षित होने की खबर सुनते ही राहत की सांस ली। बुधवार शाम तक परिवार जम्मू पहुंचने में सफल रहा और वहां से अपने घर के लिए रवाना हुआ। जैसे ही पांढुर्णा के शंकर नगर क्षेत्र में यह खबर फैली, वहां खुशी की लहर दौड़ गई और सभी ने इसे एक चमत्कार मानते हुए राहत का अनुभव किया।

अकेले जंगल का रास्ता बचाने वाला था

गुलशन मदान ने कहा, "हमारी स्थिति बहुत ही घातक थी, लेकिन भगवान की कृपा से हम समय पर वहां से निकल पाए।" परिवार के सभी सदस्य इस बात को लेकर आभारी थे कि उन्होंने अपनी समझदारी से और घबराहट के बावजूद सही समय पर सही कदम उठाया।

जीवन में समय और त्वरित निर्णय का प्रत्यक्ष प्रमाण

यह घटना आतंकवाद और डर के बीच एक जीवंत उदाहरण है कि किस तरह एक परिवार ने अपने साहस और किस्मत के सहारे अपनी जान बचाई। यह कहानी इस बात का प्रतीक है कि कभी-कभी जीवन में समय और त्वरित निर्णय ही इंसान की जान बचाते हैं।