सार
MP News: खंडवा के कोंडावत गांव में जहरीली गैस से 8 लोगों की दर्दनाक मौत के बाद गांव में मचा कोहराम। एक साथ जलीं 8 चिताएं, बेटी ने दी पिता को मुखाग्नि। गांव में पसरा मातम और दिल दहला देने वाला मंजर।
MP News: मध्य प्रदेश के खंडवा जिले के कोंडावत गांव में शुक्रवार की सुबह ऐसा मंजर देखने को मिला कि शब्द भी कम पड़ जाएं और दिल दहाड़ें मारकर रो पड़े। इस मंजर ने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया। 8 चिताएं एक साथ जल उठीं, और हर आंख से आंसू बह रहे थे। गांव का हर कोना मातम में डूबा हुआ था, और हर चेहरा गम की गवाही दे रहा था।
एक झटके में छीन गईं खंडवा के 8 परिवारों की खुशियां
हम उस हादसे की बात कर रहे हैं, जिसने एक झटके में 8 परिवारों की खुशियां छीन लीं। गांव का अर्जुन पटेल, जो सफाई के लिए कुएं में उतरा था, वहीं उसकी जिंदगी गुम हो गई। उसके पीछे-पीछे जो 7 लोग उसे बचाने कुएं में उतरे, वे भी लौटकर घर नहीं आए।
गंदगी और दलदल का अड्डा बन गया था कोंडावत गांव का कुआं
कोंडावत गांव का कुआं वर्षों से यूज में आ रहा था, लेकिन बीते कुछ वर्षों से उसकी देखरेख में भारी लापरवाही बरती जा रही थी। कुएं के किनारे से निकलती नाली, जिसमें पूरा गांव का गंदा पानी बहता था। समय के साथ यह कुआं सिर्फ पानी का स्रोत नहीं रहा, बल्कि गंदगी और दलदल का अड्डा बन गया।
गणगौर विसर्जन: जहरीली गैस का शिकार बन गया अर्जुन
गुरुवार की शाम, गांव में गणगौर विसर्जन की तैयारियां चल रही थीं। अर्जुन पटेल ने सोचा कि कुएं की सफाई कर ली जाए। वह कुएं में उतरा, लेकिन कुछ ही पलों में बेसुध हो गया। कुएं के अंदर जमा गंदगी और उसमें बनी जहरीली गैस ने उसकी सांसे छीन ली। उसका शरीर धीरे-धीरे दलदल में धंसता गया।
एक के बाद एक उतरे साथी, सभी की गई जान
जब अर्जुन बाहर नहीं आया, तो गांव में हड़कंप मच गया। बिना किसी सुरक्षा उपाय के, एक-एक कर सात और लोग अर्जुन को बचाने कुएं में उतरे। पर अनजान थे वे उस खतरनाक गैस से जो वहां मौत बनकर बैठी थी। कोई रस्सी से उतरा, कोई ऊपर से झांककर आवाज देने लगा, और किसी ने बिना सोचे-समझे छलांग लगा दी। लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। एक के बाद एक आठ जिंदगी कुएं की काली गहराई में समा गईं।
कोंडावत गांव में 3 घंटे चला रेस्क्यू ऑपरेशन
जैसे ही घटना की सूचना प्रशासन को मिली, तो अफरा-तफरी मच गई। तुरंत एसडीएम बजरंग बहादुर, पुलिस और रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंची। लेकिन काम आसान नहीं था। कुएं में सिर्फ पानी नहीं था, बल्कि वह एक गैस से भरा दलदल बन चुका था। वहां उतरना मतलब मौत को दावत देना था। करीब तीन घंटे तक चले इस ऑपरेशन में सभी आठ शवों को बाहर निकाला गया। हर शव बाहर आते ही गांव वालों की चीख-पुकार बढ़ जाती। किसी का बेटा था, किसी का पति, किसी का भाई। और किसी का पिता।
खंडवा जिला अस्पताल में देर रात तक चला डॉक्टरी परीक्षण
शवों को तुरंत जिला अस्पताल भेजा गया, जहां डॉक्टरों की एक टीम ने रात 12 बजे तक पोस्टमार्टम किया। सभी की दम घुटने और दलदल में डूबने से मौत की संभावना जताई जा रही है। शुक्रवार सुबह करीब साढ़े आठ बजे, सभी शवों को अलग-अलग वाहनों में गांव लाया गया। महिलाओं की चीत्कार, बच्चों की चीखें, और पुरुषों की भीगी आंखें – हर कोना मातम में डूबा था और फिर मृत लोगों की मुक्तिधाम के लिए अंतिम यात्रा शुरू हुई।
बेटी आरुषि ने दी पिता अर्जुन को मुखाग्नि
मुक्तिधाम में वो मंजर था, जो शायद किसी ने अपनी जिंदगी में न देखा हो। एक साथ आठ चिताएं सजाई गईं, और आठ परिवारों ने अपने अपनों को अंतिम विदाई दी। सबसे मार्मिक क्षण तब आया, जब अर्जुन पटेल की बेटी आरुषि ने अपने पिता को मुखाग्नि दी। सीएम मोहन यादव ने मृतकों के परिजनों को 4—4 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया है।