सार
MP News: इंदौर जिला कोर्ट ने चर्चित धर्म परिवर्तन मामले में महिला, उसके प्रेमी और एक सहयोगी को 10 साल की सजा सुनाई। 8 साल के मासूम का जबरन खतना कर उसे मदरसे में भेजने का आरोप साबित हुआ। जानें पूरा मामला।
MP News: इंदौर डिस्ट्रिक कोर्ट ने शहर के चर्चित धर्म परिवर्तन से जुड़े एक मामले में महिला, उसके प्रेमी और एक सहयोगी को 10 साल की सजा सुनाई है। यह मामला राजस्थान के एक बिजनेसमैन की शिकायत पर दर्ज हुआ था, जिसमें उसने आरोप लगाया था कि उसकी पत्नी ने अपने प्रेमी इलियास के साथ मिलकर 8 साल के बेटे का जबरन खतना करवा दिया और उसे मदरसे में इस्लामिक शिक्षा दिलाने के लिए भर्ती करवा दिया। यह मामला सामने आने के बाद जैन समाज और जैन मुनियों ने इस पर कड़ा विरोध जताया। वहीं, भाजपा के वरिष्ठ नेता और वर्तमान कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने भी इस घटना को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की थी।
कैसे हुआ मामले का खुलासा?
राजस्थान के एक बिजनेसमैन ने जब अपनी पत्नी की हरकतों पर शक हुआ, तो उसने इंदौर के खजराना थाने में शिकायत दर्ज कराई। पीड़ित पति का आरोप था कि उसकी पत्नी ने अपने प्रेमी इलियास के साथ मिलकर बच्चे का जबरन खतना करवाया और उसे मदरसे में इस्लामिक शिक्षा देने के लिए भर्ती करा दिया। पत्नी के इस कृत्य का पता चलते ही पीड़ित ने तुरंत पुलिस को सूचना दी। मामला संदिग्ध लगने पर पुलिस ने एफआईआर (FIR) दर्ज कर जांच शुरू की।
पुलिस जांच और आरोपियों की गिरफ्तारी
पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए तीनों आरोपियों – प्रार्थना (पीड़िता की पत्नी), इलियास (प्रेमी), और जफर (सहयोगी) को गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस ने अदालत में पेश किए अहम सबूत
- बच्चे के खतना से संबंधित मेडिकल रिपोर्ट।
- प्रार्थना (बच्चे की मां) के धर्म परिवर्तन से जुड़े दस्तावेज।
- मदरसे में बच्चे के नाम से दर्ज रिकॉर्ड।
- बच्चे के पिता द्वारा दर्ज करवाई गई आधिकारिक शिकायत।
- 18 महीने तक चली इस सुनवाई के दौरान आरोपियों ने कई बार जमानत के लिए आवेदन किया, लेकिन हर बार कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज कर दी।
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कोर्ट का फैसला: दोषियों को 10 साल की सजा और 50 हजार का अर्थदंड
- सभी सबूतों और गवाहों को ध्यान में रखते हुए इंदौर जिला कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया।
- तीनों आरोपियों – प्रार्थना, इलियास और जफर को 10-10 साल की सजा सुनाई गई।
- कोर्ट ने तीनों दोषियों पर 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया।
- अन्य धाराओं के तहत हर दोषी पर 5,000 रुपये का अतिरिक्त दंड भी लगाया गया।
- बच्चे को उसके जैविक पिता को सौंपने का आदेश दिया गया।
जैन समाज और भाजपा नेताओं का विरोध
- जैन समाज के लोगों और जैन मुनियों ने इस मामले में जोरदार विरोध जताया।
- भाजपा के वरिष्ठ नेता और तत्कालीन राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने भी इस मुद्दे पर चिंता जताई और कड़ी कार्रवाई की मांग की।
- प्रदेश सरकार ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया और कोर्ट में मजबूत पैरवी की।
इस फैसले के क्या मायने हैं?
- यह फैसला धर्म परिवर्तन और जबरन खतना के मामलों में न्यायिक सख्ती की मिसाल बन सकता है।
- इससे धार्मिक और सामाजिक सुरक्षा को मजबूत करने में मदद मिलेगी।
- नाबालिग बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा को लेकर एक मजबूत संदेश गया है।
- सरकार और न्यायालय ऐसे मामलों में कठोर कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध नजर आ रहे हैं।
कोर्ट के फैसले ने दिया बड़ा संदेश
इंदौर जिला कोर्ट का यह फैसला धर्म परिवर्तन, जबरन खतना और नाबालिगों के अधिकारों के हनन से जुड़े मामलों में कड़ा संदेश देता है। इस फैसले के बाद यह स्पष्ट हो गया कि कोई भी धर्म परिवर्तन या शारीरिक बदलाव नाबालिग की इच्छा के विरुद्ध नहीं किया जा सकता। यह फैसला भविष्य में इस तरह के अपराधों पर लगाम लगाने का काम करेगा। आरोपियों को मिली सजा से समाज में धर्म परिवर्तन और जबरन खतना जैसी घटनाओं के खिलाफ सख्त संदेश जाएगा।
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