उज्जैन में क्षिप्रा नदी के लिए 614 करोड़ की सेवरखेड़ी-सिलारखेड़ी परियोजना का भूमिपूजन। सिंहस्थ से पहले नदी होगी निर्मल और सदैव प्रवाहमान। सिंचाई क्षमता में भी होगा इज़ाफ़ा।

भोपाल। मोक्ष दायिनी क्षिप्रा नदी अब निर्मल और निरंतर प्रवहमान होगी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव आज 614 करोड़ 53 लाख रुपये की लागत की सेवरखेड़ी-सिलारखेड़ी परियोजना का भूमि-पूजन कार्तिक मेला ग्राउंड उज्जैन पर करेंगे। इस अवसर पर केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल भी उपस्थित रहेंगे।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव के कुशल नेतृत्व में आगामी सिंहस्थ महापर्व के आयोजन तक संतजन और श्रद्धालु क्षिप्रा नदी में शुद्ध और निर्मल जल से स्नान कर सकेंगे। इसके साथ ही यह सौगात पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी बाजपेयी के संकल्प को भी और मजबूती दी है जिसमें नदियों को जोड़कर निरन्तर प्रवाहमान बनाये रखना है। आज क्षिप्रा नदी को सदैव प्रवाहमान देखने का सपना मूर्तरुप लेने जा रहा है। इस योजना से क्षेत्र में सिंचाई का रकबा भी बढ़ेगा।

 

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सेवरखेड़ी-सिलारखेड़ी परियोजना

परियोजना से क्षिप्रा नदी को निरंतर प्रवाहमान बनाए रखने के साथ ही उज्जैन को पेयजल के लिये पर्याप्त जल उपलब्ध हो सकेगा। पेयजल के उपयोग के लिये 27 एमसीएम तथा क्षिप्रा को प्रवाहमान बनाए रखने के लिए 51 एमसीएम जल उपलब्ध कराया जाएगा। परियोजना के अंतर्गत ग्राम सेवरखेड़ी में बैराज निर्माण किया जाएगा, जिसमें वर्षाकाल में जल भराव होगा फिर उसे उद्वहन कर सिलारखेड़ी तालाब में संग्रहित किया जाएगा। 6.50 किलोमीटर लम्बी पाइप लाइन से जल का उद्वहन सेवरखेड़ी से सिलारखेड़ी तक किया जाएगा। यह परियोजना मई 2027 तक पूरी की जानी है। इसी के साथ कान्ह डायवर्जन क्लोज डक्ट परियोजना से कान्ह नदी के दूषित जल को क्षिप्रा में मिलने से रोका जाएगा। इसके लिये ग्राम जमालपुरा में कान्ह नदी पर एक बैराज का निर्माण किया जाएगा, इससे नदी के दूषित जल को क्लोज डक्ट के माध्यम से व्यपवर्तित किया जाएगा। परियोजना की कुल लम्बाई 30.15 कि.मी है, जिसमें 18.15 कि.मी. लम्बाई में कट एण्ड कव्हर द्वारा क्लोज डक्ट का निर्माण किया जाएगा। साथ ही 12 कि.मी. लम्बाई में टनल का निर्माण भी किया जाएगा, जिससे दूषित जल डायवर्ट होगा। टनल में 4 शाफ्ट भी बनाई जाएंगी, इससे टनल में पहुँचना सुगम हो जाएगा और साफ-सफाई के लिए पहुँच मार्ग भी उपलब्ध होगा। इस परियोजना को आगामी 25 वर्ष बाद की जनसंख्या को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है। इसे सितम्बर-2027 तक पूर्ण किया जाना है।