सार

MP के आरक्षक मुबारिक शेख ने अनिल सोलंकी बनकर युवती से शादी की, 7 साल तक प्यार का नाटक किया, फिर बार-बार कराया गर्भपात और कर ली दूसरी शादी। अब फरार है, लेकिन सच्चाई का पर्दाफाश हो चुका है… केस दर्ज, जांच शुरू… पर असली कहानी अभी बाकी है!

MP Police Abortion News: एक युवती के साथ सात साल तक प्यार का नाटक, नाम बदलकर कोर्ट मैरिज और फिर बार-बार गर्भपात कराना... ये किसी टीवी सीरियल की कहानी नहीं बल्कि MP पुलिस के एक आरक्षक की असल जिंदगी की सनसनीखेज हकीकत है।

नाम बदलकर रचाई शादी, फिर छोड़ दिया साथ

खंडवा जिले के रहने वाले आरक्षक मुबारिक शेख ने अनिल सोलंकी बनकर एक युवती से नजदीकियां बढ़ाईं और बाद में कोर्ट मैरिज कर ली। शादी के कुछ समय बाद उसने खंडवा से तबादला झाबुआ करवा लिया और वहां जाकर दूसरी शादी कर ली।

झूठ का जाल: पहली मुलाकात से शादी तक की कहानी

पीड़िता के मुताबिक, 2014 में जीडीसी कॉलेज खंडवा में पढ़ाई के दौरान उसकी मुलाकात खेल मैदान में एक युवक से हुई, जिसने खुद को ‘अनिल सोलंकी’ बताया। यही मुबारिक शेख था। 2014 से 2019 तक दोनों लिव-इन में रहे। इस दौरान युवती को चार बार गर्भवती किया गया और हर बार गर्भपात करवा दिया गया।

शादी का वादा, फिर शोषण और धमकी

लड़की ने बताया कि मुबारिक उर्फ अनिल ने उसे बार-बार शादी का झांसा दिया, शारीरिक संबंध बनाए और हर बार शादी की बात टालता रहा। जब युवती ने 2019 में पुलिस अधीक्षक से शिकायत की तब जाकर 2020 में कोर्ट में शादी हुई — वह भी फर्जी नाम ‘अनिल सोलंकी’ के तहत।

विवाह के बाद भी जारी रहा अत्याचार

शादी के बाद भी युवती को गर्भवती किया गया और तीन बार और गर्भपात करवाया गया। जब उसने परिवार बसाने की बात की तो मुबारिक ने दूरी बनानी शुरू कर दी। अचानक तबादला झाबुआ करवा लिया और वहां दूसरी शादी कर ली।

राज खुलने पर दी धमकी, फिर हुआ फरार

जब युवती को दूसरी शादी की जानकारी लगी तो वह झाबुआ पहुंची और मुबारिक से सवाल किए। जवाब में उसे जान से मारने की धमकी मिली। आखिरकार युवती ने झाबुआ कोतवाली थाने में मामला दर्ज कराया।

इन धाराओं में केस दर्ज, जांच खंडवा कोतवाली के हवाले

झाबुआ पुलिस ने आईपीसी की धारा 498A (दहेज उत्पीड़न), 494 (दोहरी शादी), 294 (गाली-गलौच), 313 (गर्भपात के लिए मजबूर करना) के तहत केस दर्ज कर केस खंडवा कोतवाली स्थानांतरित कर दिया है। फिलहाल मुबारिक शेख फरार है और उसकी तलाश जारी है।

अब सवाल ये है – क्या मिलेगा इंसाफ?

इस केस ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं — क्या वर्दी की आड़ में शोषण को छुपाया जा सकता है? क्या झूठे नाम से की गई शादी वैध मानी जाएगी? और क्या एक युवती को यूं बार-बार गर्भपात के लिए मजबूर करना सिर्फ कानून का ही नहीं, इंसानियत का भी अपमान नहीं है?