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ना पंडित, ना फेरे... बस पान खिलाया और शादी पक्की! जानें MP की चौंकाने वाली अनोखी परंपरा
ना मंडप, ना मंत्र – बस एक पान की पत्ती और हो जाती है शादी तय! मध्य प्रदेश के आदिवासी अंचलों की इस रहस्यमयी परंपरा में छिपा है प्रेम, विद्रोह और संस्कृति का संगम… जानिए इस अनोखे मेले की असली सच्चाई!
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अनोखी शादी जहां पान है मंडप!
मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में आज भी ऐसी परंपरा निभाई जाती है, जहां शादी के लिए ना पंडित बुलाया जाता है, ना मंत्रोच्चार होता है। यहां तो बस लड़का लड़की को पान खिलाता है और अगर लड़की ने खा लिया... तो समझिए रिश्ता तय!
जहां होली से पहले बसता है संस्कृति का रंगीन हाट
झाबुआ, आलीराजपुर, धार, बड़वानी और खरगोन में होली से सात दिन पहले बाजारों की रौनक दोगुनी हो जाती है। ढोल-नगाड़ों की थाप, चांदी से लदी महिलाएं, पारंपरिक वेशभूषा में नाचते युवक – भगोरिया मेला एक जीवंत संस्कृति की तस्वीर बन जाता है।
भगोरिया मेला – प्रेम की खुली छूट
MP के झाबुआ, आलीराजपुर, धार जैसे जिलों में भगोरिया नामक मेला लगता है। यहां आदिवासी युवक-युवतियां पारंपरिक पहनावे में अपने जीवनसाथी को चुनने निकलते हैं – ढोल, नृत्य और रंगों से भरे इस मेले में प्यार हर कोने में नजर आता है।
पान की पत्ती = शादी का प्रस्ताव
मेले में जब कोई लड़का किसी लड़की को पान की पत्ती देता है और वो लड़की उसे स्वीकार कर लेती है, तो दोनों अपने रिश्ते को सार्वजनिक मान लेते हैं। ये आदिवासी संस्कृति का अनोखा विवाह प्रस्ताव है, जिसमें ‘हां’ सिर्फ एक पान से मिलती है।
मोरगढ़ी का मेहंदी वाला मेला
हरदा जिले के मोरगढ़ी गांव में लगने वाले ठठिया बाजार मेले में आज भी प्रेमी जोड़ियां एक-दूसरे से मिलने पहुंचती हैं। यहां नजरों से बात होती है और पान से रिश्ता तय। हालांकि अब ये परंपरा प्रतीकात्मक रूप में बची है।
क्या अब भी होती हैं पान से शादियां?
अब हालात बदल चुके हैं। पहले जहां पान खिलाकर भाग जाने की घटनाएं होती थीं, अब वहां परिवार की सहमति अहम हो गई है। पान आज भी खिलाया जाता है, लेकिन शादी अब सामाजिक नियमों और कानूनी मान्यता से होती है।
परंपरा से बदलते ट्रेंड तक
जहां पहले इस मेले में रिश्ता तय होता था, वहीं अब ये युवा वर्ग के लिए एक कल्चरल फेस्टिवल बन चुका है। लोग यहां सेल्फी, reels और आउटफिट शो करने आते हैं। परंपरा अभी ज़िंदा है, लेकिन रूप और भाव अब काफी बदल चुके हैं।
फैशन और फिल्मी जलवा
इस साल भगोरिया मेले में युवा ‘पुष्पा स्टाइल’ में नजर आए। रंग-बिरंगे साफे, ब्लैक चश्मे और भारी जूतों के साथ हर कोई जैसे स्टाइल आइकन लग रहा था। पान से ज्यादा रील्स की धूम रही और इंस्टा स्टोरीज में भगोरिया ट्रेंड करने लगा।
युवा बोले – ये अब शादी नहीं, ट्रेंड है!
मेले में आई एक छात्रा बोली – “अब पान खिलाकर शादी नहीं होती, ये बस एक मजेदार परंपरा है, जो हम अपने कल्चर के तौर पर निभाते हैं।” युवाओं के लिए अब ये मेला प्यार से ज़्यादा पहचान और पॉपुलैरिटी का ज़रिया बन गया है।
क्या आपने भी देखा है ऐसा मेला?
MP की ये परंपरा जहां कभी सच्चे प्यार का प्रतीक थी, अब एक फेस्टिवल ट्रेंड बन गई है। शादी का तरीका भले बदल गया हो, लेकिन पान की मिठास और इस मेले की पहचान आज भी सबके दिल में जिंदा है। क्या आपने कभी ऐसा कुछ देखा है?