सार
भोपाल। मध्यप्रदेश की मोहन सरकार अब पानी की एक-एक बूंद बचाएगी। इसके लिए आने वाले दिनों में स्कूलों से लेकर सड़कों तक गतिविधियां संचालित की जाएंगीं। दरअसल, राज्य सरकार 30 मार्च से जल गंगा जल संवर्धन अभियान शुरू करने जा रही है। इस 90 दिवसीय अभियान की शुरुआत वर्ष प्रतिपदा के दिन उज्जैन की क्षिप्रा नदी से की जाएगी। इसका समापन 30 जून को होगा। इस मुहिम की थीम 'जन सहभागिता से जल स्त्रोतों का संवर्धन एवं संरक्षण' रखी गई है। इस बीच मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 22 मार्च को विश्व जल दिवस की शुभकामनाएं भी दीं। उन्होंने कहा कि जल से ही हमारा कल सुरक्षित है। यह प्रकृति का अमूल्य उपहार है, जिसका संरक्षण और संवर्धन करना हम सभी की जिम्मेदारी है। आइए, हम सब मिलकर जल संसाधनों की सुरक्षा का संकल्प लें और एक समृद्ध भविष्य की ओर कदम बढ़ाएं।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने प्रदेशवासियों से जल बचाने के लिए जागरूक रहने और जल संरक्षण के सभी उपाय अपनाने की अपील की है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार भी इस साल 30 मार्च से जल गंगा जल संवर्धन अभियान प्रारंभ करने जा रही है। जल संरक्षण में जन सहभागिता बढ़ाने और अधिकाधिक जल संरचनाओं के निर्माण की मंशा से जुड़ा यह अभियान लगातार 90 दिनों तल चलेगा। उन्होंने इस अभियान के संबंध में अधिकारियों के साथ अहम बैठक भी की। उनका कहना है कि है कि पानी से ही जिंदगानी है। हम सभी को जल की बूंद-बूंद बचाने की जरूरत है। जल से ही हम सबका आने वाला कल सुरक्षित है।
गांवों से लेकर शहरों तक चलेगा जागरूकता अभियान गौरतलब है कि, इस अभियान के अंतर्गत जल संचय की कई गतिविधियां संचालित की जाएंगी। पौधरोपण-जल स्रोतों का पुनर्जीवन किया जाएगा। गांव-गांव में जल संरक्षण जागरूकता कार्यक्रम होंगे। वर्षा जल संचयन को बढ़ावा देने के लिए विशेष कार्य किए जाएंगे। ग्रामीण-शहरी क्षेत्रों के प्रमुख चौराहों पर प्याऊ की व्यवस्था की जाएगी। स्कूलों में बच्चों को जल संरक्षण के प्रति जागरूक करने के लिए मुहिम चलाई जाएगी। गर्मी के मौसम में सरकारी स्कूलों में जल संरक्षण की गतिविधियां आयोजित की जाएंगी। बच्चों के लिए पीने के पानी की टंकी की साफ-सफाई कराई जाएगी।
पीएम मोदी का जल संरक्षण अभियान बना जन आंदोलन- सीएम डॉ. यादव इस अभियान के मद्देनजर सीएम डॉ. यादव ने कहा कि राज्य सरकार गांव-गांव में लोगों को पेयजल एवं किसानों को खेती के लिए पानी उपलब्ध कराने के लिए संकल्पित है। गर्मी के मौसम में वन्य जीवों को भी कोई परेशानी न हो इसके लिए वन क्षेत्र-प्राणी उद्यानों में जल संरचनाओं को पुनर्विकसित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जल संरक्षण अभियान देशभर में एक व्यापक जन-आंदोलन बन चुका है। मध्यप्रदेश सरकार भी 'खेत का पानी खेत में - गांव का पानी गांव में' के सिद्धांत पर जल संरक्षण की दिशा में अभियान चला रही है।
इतने बड़े स्तर पर होंगे काम बता दें, जल गंगा जल संवर्धन अभियान में ऐतिहासिक, सांस्कृतिक-धार्मिक महत्व वाले तालाबों, जल स्त्रोतों, देवालयों में काम किए जाएंगे। मंदिरों के पास मौजूद जल स्त्रोतों की सफाई में संतों, जनप्रतिनिधियों, स्थानीय समुदाय, प्रशासनिक अधिकारियों का सहयोग मिलेगा। विक्रम संवत् के पहले दिन वरुण पूजन और जलाभिषेक के साथ अभियान की विधिवत शुरुआत की जाएगी। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने अमृत सरोवर अभियान में 1000 नए तालाबों के निर्माण का लक्ष्य रखा है। इन विकास कार्यों के लिए 200 करोड़ रुपये का खर्च हो सकता है। तालाब निर्माण के लिए अब तक 300 स्थानों का चयन किया जा चुका है। जियोग्रॉफिकल इन्फॉर्मेशन सिस्टम (जीआईएस) पद्धति से शेष स्थानों की चयन प्रक्रिया 30 मार्च तक पूरी कर ली जाएगी। साथ ही 100 करोड़ रुपये की लागत से 50 हजार नए खेत-तालाब बनाए जाएंगे। ताकि, लघु एवं सीमांत किसानों को पर्याप्त मात्रा में सिंचाई के लिए पानी मिले। विभाग का लक्ष्य वर्ष-2025 में एक लाख नए खेत-तालाब बनाने का है।
जन-जन को जोड़कर नदियों का संरक्षण अभियान के तहत में प्रदेश की 50 से अधिक नदियों के वॉटरशेड क्षेत्र में जल संरक्षण-संवर्धन पर जोर दिया जाएगा। बेतवा सहित अन्य नदियों की जल धाराएं न टूटें, इसके लिए जनसमुदाय की सहभागिता से गेबियन संरचना, ट्रेंच, पौधरोपण, चेकडैम और तालाब निर्माण जैसे काम किए जाएंगे। इस काम में आर्ट ऑफ लिविंग जैसी संस्थाओं को भी जोड़ा जाएगा। इसके अलावा मोबाइल ऐप से नर्मदा परिक्रमा पथ को भी चिन्हित किया जाएगा। इसके बाद मनरेगा के जरिये जल संरक्षण और पौधरोपण की कार्य योजना तैयार की जाएगी।
सरकार तैयार करेगी इतने लाख जलदूत जल गंगा जल अभियान के तहत पहले से बनी जल संरचनाओं का जीर्णोद्धार किया जाएगा। प्रदेशभर के तालाबों के गहरीकरण पर विशेष जोर दिया जाएगा। ग्रामीण क्षेत्रों में पानी चौपाल आयोजित की जाएंगी। पंचायत स्तर पर प्रशिक्षण देकर स्थानीय लोगों को जल संरचनाओं के रख-रखाव की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। इसमें उत्कृष्ट कार्य करने वालों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित भी किया जाएगा। अभियान के अंतर्गत हर गांव से 2 से 3 महिला-पुरुष का चयन कर राज्य में 1 लाख जलदूत तैयार किए जाएंगे। साथ ही सीवेज का गंदा पानी जल स्त्रोतों में मिलने से रोकने के लिए सोक पिट निर्माण को भी प्रोत्साहित किया जाएगा। अभियान के दौरान सदानीरा फिल्म समारोह, जल सम्मेलन, प्रदेश की जल परंपराओं पर आख्यान, चित्र प्रदर्शनी समेत कई आयोजन होंगे। इसके लिए एक मोबाइल ऐप भी तैयार किया जा रहा है।