सार
बैतूल : एक चौंकाने वाली घटना में, मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के एक गरीब मजदूर को 314 करोड़, 79 लाख, 87 हजार और 883 रुपये का भारी टैक्स नोटिस मिला है। किराए के घर में रहने वाले दिहाड़ी मजदूर चंद्रशेखर पंडित राव कोहाड़ आयकर विभाग से नोटिस मिलने के बाद पूरी तरह से सदमे में हैं।
दिन में 200 या ज्यादा से ज्यादा 300 रुपये कमाने वाले चंद्रशेखर पंडित राव अपनी कमाई से परिवार का भरण-पोषण करने में असमर्थ हैं। इसके बीच, 314 करोड़ रुपये का टैक्स नोटिस देखकर वे सदमे में हैं। परिवार को सदमा, बिगड़ी तबीयत: चंद्रशेखर ने बताया कि मेरी पत्नी बीमार होकर बिस्तर पर पड़ गई हैं, नोटिस मिलने के बाद से पूरा परिवार गहरे मानसिक तनाव में है। वे खुद हृदय रोगी हैं और अप्रत्याशित टैक्स नोटिस से हुए तनाव और डर के कारण बीमार पड़ गए हैं। फिलहाल, उनका नागपुर में इलाज चल रहा है और उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो गई है।
भूमि स्वामित्व में अंतर: यह मामला तब सामने आया जब महाराष्ट्र के आयकर विभाग ने चंद्रशेखर की संपत्तियों के बारे में बैतूल मुलताई नगर पालिका से जानकारी मांगी। यह सवाल उनके नाम पर पंजीकृत बताई गई जमीन के आधार पर किया गया था। लेकिन, जांच के दौरान पता चला कि विवादित जमीन चंद्रशेखर के स्वामित्व में नहीं है, बल्कि आमला के देवठान निवासी राधेलाल किरोड़ के बेटे मनोहर हरकचंद के नाम पर पंजीकृत है।
नगर पालिका अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि चंद्रशेखर के नाम पर पंजीकृत कोई भूमि रिकॉर्ड नहीं है। मुख्यमंत्री कार्यालय के प्रभारी जी.आर. देशमुख के अनुसार, इस स्पष्टीकरण से आयकर विभाग को अवगत करा दिया गया है।
बैंक खाता सत्यापन: चंद्रशेखर ने यह भी उल्लेख किया कि उन्होंने लगभग चार साल पहले नागपुर में एक बैंक खाता खोला था, जहां वे अपनी दैनिक आय से छोटी बचत जमा करते थे। उस समय एक बैंक एजेंट ने उनका मोबाइल नंबर लिया था, लेकिन वह नंबर कभी भी खाते से लिंक नहीं किया गया था, और चंद्रशेखर को इससे संबंधित किसी भी असामान्य गतिविधि के बारे में पता नहीं था।
कुल 3 करोड़ रुपये के लेनदेन पर आधारित यह टैक्स नोटिस उनके संज्ञान के बिना उनके नाम पर की जा सकने वाली दुरुपयोग या धोखाधड़ी की गतिविधियों के संदेह को जन्म देता है।
कानूनी मदद: अपना नाम साफ करने के लिए दृढ़ संकल्पित चंद्रशेखर अब वकीलों से संपर्क कर कानूनी मुकदमा दायर करने की तैयारी कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि इस मामले की गहन जांच की जाए ताकि यह समझा जा सके कि इतनी बड़ी राशि के लेनदेन से कोई संबंध नहीं रखने वाले व्यक्ति पर इतनी बड़ी टैक्स देनदारी कैसे थोपी गई।