सार
उज्जैन। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव उज्जैन में कालिदास संस्कृत अकादमी में आयोजित संयुक्त चेतना वैश्विक सम्मेलन में शामिल हुए। यहां मौजूद दुनिया के कई देशों के अतिथियों को संबोधित करते हुए उन्होंने भगवतगीता में श्रीकृष्ण और अर्जुन के संवाद के माध्यम से भगवान के विराट स्वरुप के अर्थ और उनका महत्व समझाया। उन्होंने कहा कि ‘यत् पिंडे तत् ब्रह्माण्डे’ अर्थात जो हमारे पिंड में है वही ब्रह्माण्ड में है। पंचमहाभूत और पंचतत्वों से ये शरीर बना है। पंचमहाभूतों के साथ अपरा में मन, बुद्धि और अंहकार आते हैं। परा से हमारी आत्मा की यात्रा प्रारंभ होती है। परा से परमात्मा की यात्रा निर्मल रुप से बहते रहे। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति सर्वशक्तिमान बनना चाहता है लेकिन ऐसा होते ही वो सीमा उल्लघंन करता है और अपनी संस्कृति को ही श्रेष्ठ मानता है। जिस प्रकार एक ही क्षेत्र के होते हुए भी रुस और युक्रेन आपस में युद्ध कर रहे हैं। लेकिन भारत हमेशा वसुधैव कुटुंबकम की भावना से चलता है। हमारी उदात्त संस्कृति के ध्वजवाहक पीएम मोदी के नेतृत्व में हम दुनिया को बता रहे हैं कि हम शक्तिमान होते हुए भी युद्ध नहीं बुद्ध चाहते हैं। हम प्रकृति के साथ संबंध स्थापित करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि जल में जल मिलाकर हम इसी विश्व बंधुत्व की भावना का संदेश दे रहे हैं।
सीएम डॉ यादव को सौंपा 22 देशों का जल
इस आयोजन में शामिल हुए अतिथि अपने देश का जल अपने साथ लाए। इस प्रकार करीब 22 देशों का जल एक पात्र में इकट्ठा कर मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को भेंट किया गया। आपको बताएं कि उज्जैन में कालिदास अकादमी की ओर से 14 से 16 फरवरी 2025 तक वैश्विक यूनाइटेड कॉन्शियसनेस कॉन्क्लेव का आयोजन किया जा रहा है। इस अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम में 22 देशों के योग गुरु, आध्यात्मिक विचारक, शिक्षाविद और लीडर्स शामिल हो रहे हैं। आयोजन का उद्देश्य विश्व शांति और एकता को बढ़ावा देना है.
सीएम डॉ मोहन यादव के साथ मंच पर सांसद अनिल फिरोजिया, मंत्री गौतम टेटवाल, महापौर मुकेश टटवाल, निगम सभापति कलावती यादव उपस्थित रहे। कार्यक्रम में सीएम डॉ यादव ने वैदिक पेरेंटिक नाम की पुस्तक का विमोचन किया