सार
मध्य प्रदश की राजधानी भोपाल गैस त्रासदी पीड़ितों के मेडिकल रिकॉर्ड को डिजिटाइज करने की प्रक्रिया तेज, हाई कोर्ट के आदेश पर राज्य सरकार ने बढ़ाई गति। जानें पूरी जानकारी।
Bhopal Gas Tragedy Latest Update : भोपाल गैस त्रासदी पीड़ितों के मेडिकल रिकॉर्ड को डिजिटल रूप में संग्रहित करने की प्रक्रिया अब तेज हो गई है। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के पूर्व आदेश के अनुपालन में राज्य सरकार ने एक शपथ पत्र प्रस्तुत किया, जिसमें बताया गया कि अतिरिक्त मशीनों की स्थापना के बाद प्रतिदिन 20,000 पृष्ठों का डिजिटाइजेशन किया जा रहा है। कुल 17 लाख पृष्ठों के डिजिटाइजेशन का कार्य अगले 6 महीनों में पूरा कर लिया जाएगा।
MP हाई कोर्ट के सख्त निर्देश के बाद आया बदलाव
मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायाधीश विवेक जैन की युगलपीठ ने इस शपथ पत्र को अभिलेख में सम्मिलित करते हुए मामले की अगली सुनवाई 22 फरवरी के लिए निर्धारित की है। इससे पहले, पिछली सुनवाई में कोर्ट ने डिजिटाइजेशन की धीमी गति पर कड़ी नाराजगी जताई थी। राज्य सरकार ने पहले बताया था कि पुराने मेडिकल रिकॉर्ड की स्थिति खराब होने के कारण प्रतिदिन केवल 3,000 पृष्ठ ही स्कैन किए जा सकते हैं, जिससे पूरा कार्य 550 दिनों में पूरा होने की संभावना थी।
MP हाईकोर्ट ने दिया एक हफ्ते का समय
इस पर हाई कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि संबंधित विभाग इस कार्य को गंभीरता से लें और एक सप्ताह के भीतर अंतिम कार्य योजना तैयार करें। इसके बाद, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के सचिव और बीएमएचआरसी के निदेशक ने संयुक्त बैठक कर डिजिटाइजेशन प्रक्रिया में तेजी लाने का फैसला किया।
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भोपाल गैस त्रासदी से जुड़े पुराने मामलों पर भी होगा फैसला?
कोर्ट मित्र अधिवक्ता अंशुमान सिंह ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में भोपाल गैस पीड़ितों के उपचार और पुनर्वास को लेकर 20 महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए थे। इन्हें लागू करने के लिए एक मॉनिटरिंग कमेटी बनाई गई थी, जिसे हर तीन महीने में हाई कोर्ट में रिपोर्ट पेश करनी थी। लेकिन, रिपोर्ट पेश करने की प्रक्रिया में देरी के चलते 2015 में इस मामले में अवमानना याचिका दायर की गई थी।
6 महीनों में पूरा डेटा हो जाएगा डिजिटल
अब हाई कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि डिजिटाइजेशन की प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा किया जाए, जिससे गैस त्रासदी पीड़ितों को न्याय मिलने में और देरी न हो। भोपाल गैस त्रासदी पीड़ितों की चिकित्सा रिपोर्ट्स के डिजिटाइजेशन में अब तेजी लाई गई है। हाई कोर्ट की सख्ती के बाद सरकार ने मशीनों की संख्या बढ़ाकर प्रतिदिन 20,000 पेज स्कैन करने का लक्ष्य रखा है, जिससे 6 महीनों में पूरा डेटा डिजिटल हो जाएगा। आने वाली सुनवाई में कोर्ट इस पर और सख्त रुख अपना सकता है।
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