सार
कोडरमा न्यूज: छोटे-छोटे कदम लोगों को बड़ी मंजिल की ओर ले जाते हैं। राजस्थान के कोटा प्रेम नगर निवासी 25 वर्षीय दीपक वर्मा अपने छोटे-छोटे कदमों से दुनिया को बड़ा संदेश देने निकल पड़े हैं। दीपक अब तक अपने छोटे-छोटे कदमों से 7 राज्यों और एक देश नेपाल की पदयात्रा पूरी कर चुके हैं और दुनिया की सबसे लंबी पदयात्रा पर हैं। वे करीब 2 साल पहले 40 किलो वजनी बैग लेकर कोटा से 22 हजार किलोमीटर की पदयात्रा पर निकले हैं।
झुमरी तिलैया में दीपक वर्मा ने बताया कि वे अविवाहित हैं। उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया है। इसके बाद उन्होंने इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग एंड कंपनी में सुपरवाइजर के पद पर भी काम किया। इस दौरान उन्हें समाज में कुछ जरूरी बदलाव की जरूरत महसूस हुई। जिसके बाद उन्होंने अपनी पदयात्रा के जरिए ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़कर यह सफर शुरू किया। उनके पिता रामकृष्ण वर्मा कंस्ट्रक्शन कॉन्ट्रैक्टर हैं। जबकि मां सुशीला बाई गृहिणी हैं। उन्होंने बताया कि 25 मार्च 2023 को उन्होंने अपने निवास से पैदल यह यात्रा शुरू की थी, जो वर्ष 2027 में समाप्त होगी।
जंगलों में भी गुजारनी पड़ती हैं रातें
दीपक ने बताया कि इससे पहले वे कोटा से केदारनाथ, बद्रीनाथ धाम, नीलकंठ महादेव, ऋषिकेश और कोटा से महाकालेश्वर तक की यात्रा पैदल पूरी कर चुके हैं। उन्होंने बताया कि पैदल यात्रा के दौरान वे लोगों से मिलते हैं और देश में संपूर्ण राष्ट्रीय सनातनी एकता पर चर्चा करते हैं। उन्होंने बताया कि उनकी यात्रा प्रतिदिन सुबह करीब 6 बजे शुरू होती है। वे दिनभर में 35 से 40 किलोमीटर पैदल चलते हैं।
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इसके बाद शाम को सुरक्षित स्थान तलाशने के बाद रात्रि विश्राम करते हैं। वे अपने साथ कैंपिंग टेंट, कपड़े समेत कुछ जरूरी सामान लेकर चल रहे हैं। यात्रा के दौरान रुकने के लिए उचित स्थान न मिलने पर वे सुनसान और जंगल वाले इलाकों में कैंपिंग टेंट लगाकर रात भी गुजारते हैं।
संस्कारवान शिक्षा के लिए गुरुकुल की स्थापना जरूरी
उन्होंने बताया कि इस पदयात्रा के दौरान उन्हें लोगों का भरपूर सहयोग मिल रहा है। अब तक वे राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, नेपाल, बिहार, छत्तीसगढ़ की यात्रा पूरी कर चुके हैं। वे झारखंड के कोडरमा होते हुए देवघर जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि यात्रा के दौरान वे रास्ते में पड़ने वाले सभी प्रमुख व छोटे-बड़े मंदिरों व गुरुद्वारों में जाकर मत्था टेक रहे हैं। इस दौरान वे लोगों को जाति-पाति के नाम पर नहीं बल्कि पूरी राष्ट्रीय सनातनी एकता रखने, देश में गुरुकुल की स्थापना कर बच्चों को आध्यात्मिक व संस्कारवान शिक्षा देने, गंदे स्थानों पर देवी-देवताओं की तस्वीरें न लगाने का संदेश दे रहे हैं।
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