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क्यों आते हैं खतरनाक एवलांच, क्या ये सिर्फ नुकसान पहुंचाते हैं या फायदेमंद भी हैं, पढ़िए Explainer

पूर्वी सिक्किम के नाथू ला इलाके में 4 अप्रैल की सुबह हिमस्खलन(massive avalanche) की घटना ने सबको हिलाकर रख दिया है। इसकी चपेट में आने से 7 पर्यटकों की मौत हो गई, 13 से अधिक लोग घायल हैं।

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Amitabh Budholiya
Published : Apr 05 2023, 09:05 AM IST | Updated : Apr 05 2023, 09:08 AM IST
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Image Credit : Asianet News

गंगटोक(Gangtok). पूर्वी सिक्किम के नाथू ला इलाके में 4 अप्रैल की सुबह हिमस्खलन(massive avalanche) की चपेट में आने से 7 पर्यटकों की मौत हो गई, 13 से अधिक लोग घायल हैं। हिमस्खलन सुबह 11.30 बजे जवाहरलाल नेहरू मार्ग पर हुआ था, जो राजधानी गंगटोक को चीन की सीमा पर नाथू ला से जोड़ता है। जानिए एवलांच क्यों आते हैं और इससे जुड़ी पूरी डिटेल्स।

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बर्फ या पत्थरों को पहाड़ की ढलान से तेजी से नीचे लुढ़कने को एवलांच कहते हैं। एवलांच के दौरान बर्फ-चट्टान या मिट्टी की पकड़ कमजोर हो जाती है और वो तेजी से नीचे की ओर फिसलते हैं।

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एवलांच अकसर ग्लेशियर या हिमनदी के आसपास ही होते हैं, इनमें पत्थर-मिट्टी और बर्फ मिली होती है। जब पहाड़ों पर मौजूद बर्फ पर हिमपात होने से वजन बढ़ता है, तो वो दबाव नहीं झेल पाती और नीचे लुढ़कने लगती है।

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समुद्र तल से 14,450 फीट की ऊंचाई पर स्थित नाथू ला। भारत और चीन के बीच तीन ओपन ट्रेंडिंग बॉर्डर चौकियों में से एक है।

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नाथू लॉ अपनी नेचुरल ब्यूटी के कारण एक प्रमुख टूरिस्ट डेस्टिनेशन है। नाथू लॉ सदियों पुराने रेशम मार्ग का एक हिस्सा है। यहां आने के लिए परमिट की आवश्यकता होती है।

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माइलस्टोन 13 से आगे जाने की परमिशन नहीं होने पर भी बर्फ का मजा लेने जान जोखिम में डाली। हिमस्खलन का शिकार हुए पर्यटकों को खराब मौसम के कारण माइलस्टोन 13 से आगे जाने की अनुमति नहीं थी, फिर भी वे माइलस्टोन-13 और 17 तक गए।

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एवलांच का वजन 10 लाख टन या 1 अरब किलो तक होने की आशंका होती है। जब कोई एवलांच पहाड़ों से नीचे गिरता है, तो उसकी स्पीड 120 किलोमीटर प्रति घंटे से लेकर 320 किलोमीटर प्रति घंटे या उससे अधिक भी हो सकती है।

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दुनिया में हर साल एवलांच से 150 से अधिक लोगों की मौत होती है। एवलांच की घटनाएं ठंड के दिनों में अधिक होती हैं। यानी दिसंबर से अप्रैल के बीच यह अधिक होते हैं।

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एवलांच में एक घंटे दबे रहने पर 3 में से सिर्फ 1 व्यक्ति के जिंदा रहने की संभावना बचती है। वैसे तो ज्यादातर एवलांच प्राकृतिक होते हैं, लेकिन भारी बर्फबारी, जंगलों का सफाया, भूकंप, तूफान की वजह से भी एवलांच आ जाते हैं।

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कुछ नुकसान को छोड़ दें, तो एवलांच फायदेमंद ही होते हैं, इनसे हिमनदियों को पानी मिलता है, लेकिन इनकी भविष्यवाणी संभव नहीं है। इलेक्ट्रोनिक डिवाइस एवनांच बीकन के जरिये बर्फ में दबे लोग सर्च किए जाते हैं। यह बीप की आवाज करती है।

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About the Author

Amitabh Budholiya
Amitabh Budholiya
बीएससी (बायोलॉजी), पोस्ट ग्रेजुएशन हिंदी साहित्य, बीजेएमसी (जर्नलिज्म)। करीब 25 साल का लेखन और पत्रकारिता में अनुभव। एशियानेट हिंदी में जून, 2019 से कार्यरत। दैनिक भास्कर और उसके पहले दैनिक जागरण और अन्य अखबारों में सेवाएं। 5 किताबें प्रकाशित की हैं
 
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