सार

शादी के बाद पत्नी के अनुचित व्यवहार, बेवजह के आरोपों, हिंसा और तलाक के लिए दबाव बनाने वाले व्हाट्सएप मैसेजों के आधार पर हाईकोर्ट ने पति को तलाक की मंजूरी दी। कोर्ट ने पत्नी की अपील खारिज कर पारिवारिक न्यायालय का आदेश बरकरार रखा।

बेंगलुरु। अपने स्टेटस के अनुसार रिसेप्शन न कराने पर पति से नाराज होकर शादी के सात साल बाद भी सुहागरात के लिए राजी न होने वाली महिला को हाईकोर्ट ने तलाक की मंजूरी दे दी है। बिना वजह आरोप लगाते हुए बेडरूम में पति पर हमला करने और दूसरा दूल्हा ढूंढकर शादी करने के लिए 127 पन्नों का व्हाट्सएप मैसेज भेजकर परेशान करने वाली पत्नी के व्यवहार को देखते हुए हाईकोर्ट ने पारिवारिक न्यायालय के तलाक के आदेश को बरकरार रखा है।

मामले में पारिवारिक न्यायालय के आदेश को रद्द करने की मांग वाली महिला की याचिका खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि पति ने 2018 जुलाई से 2019 नवंबर तक पत्नी द्वारा भेजे गए व्हाट्सएप मैसेज कोर्ट के सामने रखे हैं। ये मैसेज पूरे 127 पन्नों के हैं। इन मैसेज से साफ पता चलता है कि पत्नी को वैवाहिक जीवन में कोई रुचि नहीं है।

इसके अलावा, पत्नी आए दिन किसी न किसी कारण से पति, उसके माता-पिता और करीबी रिश्तेदारों को दोष देती रहती थी। एक्सीडेंट में अपने पिता की मौत के लिए पति को जिम्मेदार ठहराने के साथ ही उसने अपने सपनों को कुचलने का आरोप भी लगाया। उसने कहा कि तलाक के बाद दोनों अलग होकर खुशी से रह सकते हैं। वह दूसरा दूल्हा ढूंढकर शादी कर सकती है। हाईकोर्ट के आदेश में बताया गया है कि पत्नी ने मैसेज में पति को बार-बार दूसरा दूल्हा ढूंढने के लिए कहा और बताया कि उसने इसके लिए बिचौलिए से भी बात कर ली है।

अंततः पत्नी के इन सभी मैसेज को देखने के बाद, किसी भी समझदार व्यक्ति को यह स्पष्ट हो जाएगा कि उसे वैवाहिक जीवन में कोई रुचि नहीं है। 2017 में भी उसने वैवाहिक जीवन जीने का कोई मौका नहीं दिया। इससे साबित होता है कि पति पत्नी के हाथों प्रताड़ित हो रहा था और उसका वैवाहिक जीवन एक दुःस्वप्न बन गया था। पति का यह तर्क भी सही हो सकता है कि पत्नी ने सिर्फ परेशान करने के लिए हाईकोर्ट में अपील दायर की है। इसलिए पारिवारिक न्यायालय द्वारा दिए गए तलाक के आदेश को बरकरार रखा जाता है।

मामला क्या है?
रवि और सौम्या (बदला हुआ नाम) की शादी 27 सितंबर 2017 को माता-पिता की मर्जी से हुई थी। लेकिन, 2019 में रवि ने पारिवारिक न्यायालय में शादी को रद्द करने और तलाक देने की अर्जी दाखिल की थी। रवि ने आरोप लगाया कि शादी के बाद उसके घर आई पत्नी ने अपने स्टेटस और सपनों के अनुसार भव्य रिसेप्शन न कराने पर आपत्ति जताई और सुहागरात के लिए मना कर दिया। इसके बाद वह बार-बार कोई न कोई बहाना बनाकर सुहागरात टालती रही। साथ ही कई कारणों से उसे ताना मारती थी। कुछ मौकों पर तो उसने बेडरूम में उस पर हमला भी किया।

साथ ही, पत्नी कम वेतन होने की बात कहकर मुझे ताने मारती थी और कहती थी कि मैं उसके सपनों को पूरा करने के लिए खर्च करने की स्थिति में नहीं हूं। इसलिए वह मुझे अपने मायके भेजने के लिए दबाव डालती थी। शादी के कुछ महीनों बाद एक्सीडेंट में पत्नी के पिता की मौत हो गई, तो उसने उसके लिए भी मुझे जिम्मेदार ठहराया। वह हमेशा मुझ पर शक करती थी और मेरा फोन चेक करती थी। अगर मैं किसी महिला सहकर्मी से फोन पर बात करता, तो वह कहती कि मेरे उनके साथ अवैध संबंध हैं। वह शादी जारी रखना नहीं चाहती थी। इसलिए पत्नी मुझे व्हाट्सएप मैसेज भेजकर तलाक देने के लिए मजबूर करती थी। इस तरह उसने मुझे परेशान करके मेरा जीवन दुःस्वप्न बना दिया। रवि ने इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए तलाक देने की मांग की थी।

इस याचिका को स्वीकार करते हुए बेंगलुरु के पारिवारिक न्यायालय ने 30 जनवरी 2022 को तलाक की मंजूरी दे दी थी। इसे चुनौती देते हुए पत्नी ने हाईकोर्ट में अपील की थी और कहा था कि वह अपने पति से प्यार करती है और वैवाहिक जीवन जारी रखना चाहती है। इसलिए पारिवारिक न्यायालय के आदेश को रद्द किया जाना चाहिए। हाईकोर्ट ने इस अपील को खारिज कर दिया।