अहमदाबाद विमान हादसे के बाद, गुजरात FSL की टीम ने दिन-रात काम करके मृतकों की पहचान की। डीएनए विशेषज्ञों ने अपनी व्यक्तिगत परेशानियों को भी दरकिनार कर 72 घंटे से भी कम समय में पहचान प्रक्रिया पूरी की।

गांधीनगर, 16 जून : 12 जून, 2025! वह तारीख जिसे गुजरात कभी नहीं भूल सकता। अहमदाबाद में एक दिल दहलाने वाला विमान हादसा हुआ। इस भयावह परिस्थिति के बीच राहत और बचाव कार्य जोरों पर चल रहा था। इस दौरान, एक अदृश्य लेकिन बेहद महत्वपूर्ण टीम भी लोगों की नजरों से दूर अपने कर्तव्य पालन में निष्ठापूर्वक जुटी हुई थी। वह फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) की टीम थी। एफएसएल की टीम ने मानवीय संवेदना और विज्ञान के बेजोड़ संगम का एक अनूठा दृष्टांत प्रस्तुत किया है। दुर्घटनास्थल पर चारों और फैले विमान के मलबे के बीच से मिले शवों और मानव अवशेषों की पहचान करना एक बड़ी चुनौती थी।

परिस्थिति की गंभीरता के मद्देनजर मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल के निर्देश पर घटना के कुछ ही समय के भीतर एफएसएल की टीम दुर्घटनास्थल पर पहुंच गई। घटना की भयावहता पहली नजर में ही समझ में आ गई थी। राहत और बचाव कार्य में जुटी टीमों द्वारा शवों और मानव अवशेषों को सिविल हॉस्पिटल पहुंचाया जा रहा था। ऐसे मुश्किल वक्त में एफएसएल की टीम ने सिविल हॉस्पिटल के साथ समन्वय कर हॉस्पिटल पहुंच रहे शवों और मानव अवशेषों से डीएनए परीक्षण के लिए सैंपल लेने की प्रक्रिया तत्काल शुरू कर दी।

इस संदर्भ में फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी के निदेशक श्री एच.पी. संघवी ने कहा, “एफएसएल के लिए यह दुर्घटना केवल एक ‘केस’ नहीं, बल्कि सैंकड़ों परिवारों की उम्मीद और संवेदना का विषय था। इसलिए ही, मृतकों की डीएनए प्रोफाइलिंग के माध्यम से पहचान स्थापित करने की प्रक्रिया तेजी से पूरी कर पार्थिव शरीर उनके परिजनों को जल्द सौंपा जा सके, इसके लिए गांधीनगर, अहमदाबाद, वडोदरा, सूरत और राजकोट की सभी एफएसएल टीमों को तुरंत ही गांधीनगर बुला लिया गया।”

उन्होंने कहा कि पहचान कर पाना असंभव हो, ऐसे अवशेषों में से एकत्र किए गए डीएनए सैंपलों का परीक्षण जटिल होने के कारण मृतकों के प्रत्येक सैंपल को बड़ी ही सावधानी से एफएसएल-गांधीनगर की लैब में लाया गया। वहीं, मृतकों के परिजनों के डीएनए सैंपल एकत्र करने से लेकर डीएनए प्रोफाइलिंग का कार्य अहमदाबाद सिविल हॉस्पिटल में शुरू किया गया। इन दोनों स्थानों पर कुल 54 डीएनए विशेषज्ञों की टीम द्वारा दिन-रात मृतकों और उनके परिजनों के डीएनए मिलान के लिए परीक्षण किए जा रहे हैं।

गृह राज्य मंत्री श्री हर्ष संघवी ने भी एफएसएल का दौरा कर डीएनए परीक्षण कार्य की लगातार समीक्षा करते हुए एफएसएल की टीम को प्रोत्साहित किया। उन्होंने टीम के विशेषज्ञों की कर्तव्यनिष्ठा और समर्पण भाव की भी सराहना की।

जानकारी के अनुसार, एफएसएल के युवा और उत्साही वैज्ञानिकों, तकनीशियनों और सहायकों की टीम ऐसी गंभीर परिस्थिति के बीच नींद, आराम और अपने परिवारों को भूलकर दिन-रात देखे बिना डीएनए मिलान जैसी फोरेंसिक तकनीकों का उपयोग कर शवों की सही पहचान सुनिश्चित करने का प्रयास कर रही है। एफएसएल के 54 डीएनए विशेषज्ञों में से 22 विशेषज्ञ महिलाएं हैं। इनमें से कई महिलाएं अपने 3 वर्ष से भी कम उम्र के छोटे बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी होने के बावजूद पिछले चार दिनों से लैब में मृतकों की पहचान के लिए कार्य कर रही हैं।

उन्होंने बताया कि कर्तव्यपरायणता की ऐसी ही एक मिसाल एक डीएनए विशेषज्ञ ने प्रस्तुत की है, जिनकी माता का हृदय केवल 20 फीसदी काम कर रहा है और उनकी तत्काल सर्जरी होनी थी। इसके बावजूद अपनी व्यक्तिगत परेशानी को दरकिनार कर इस डीएनए विशेषज्ञ ने मृतकों के डीएनए परीक्षण के कार्य के प्रति प्रतिबद्धता दिखाई है। एफएसएल में अहर्निश काम कर रही इन विशेषज्ञों की टीम निःस्वार्थ भाव और कर्तव्य के प्रति समर्पण का अद्वितीय उदाहरण है।

उल्लेखनीय है कि अहमदाबाद विमान हादसे में गुजरात की एफएसएल टीम ने मृतकों की जल्द से जल्द पहचान करने के कार्य को सुनियोजित तरीके से तेज बनाया। इसके परिणामस्वरूप एफएसएल की टीम को 72 घंटे से भी कम समय में मृतकों की पहचान स्थापित करने में सफलता प्राप्त हुई है। दो दशक पहले के समय में डीएनए परीक्षण से मृतक की पहचान स्थापित करने में लगभग 5 से 10 दिनों का समय लगता था, जबकि आज गुजरात में उपलब्ध अत्याधुनिक एफएसएल लैब, डीएनए मिलान कार्य के लिए नवीनतम मशीनरी और विशेषज्ञों की दक्ष टीम के चलते लगभग 72 घंटे में ही मृतक की पहचान करने में सफलता मिल रही है।

अत्यंत जटिल और संवेदनशील कार्य के अंत में एफएसएल की टीम ने अब तक अहमदाबाद विमान हादसे के अनेक शवों की पहचान करने में अकल्पनीय सफलता हासिल की है। एफएसएल की टीम के अथक प्रयासों के कारण शोकग्रस्त परिवारों को उनके स्वजनों के पार्थिव शरीर तेजी से मिल रहे हैं। अहमदाबाद विमान हादसे में एफएसएल टीम का समर्पण वास्तव में सराहनीय है। उन्होंने केवल वैज्ञानिक प्रमाण ही नहीं, बल्कि मानवीय संवेदना की भी मिसाल पेश की है। एफएसएल की यह अदृश्य मेहनत और अटूट समर्पण एक भयानक दुर्घटना के घाव भरने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।