सार

हर कदम पर खतरा! 77 हज़ार हादसे, 32 हज़ार मौतें और अब सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश – 2 महीने में साफ, सुरक्षित और दिव्यांग-अनुकूल फुटपाथ हों हर शहर और गांव में। क्या अब पैदल चलना होगा सुरक्षित?

Supreme Court Footpath Order: देशभर में फुटपाथों की दुर्दशा और पैदल चलने वालों की उपेक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि वे 2 महीने के भीतर यह सुनिश्चित करें कि उनके सभी शहरों और गांवों में साफ-सुथरे, अतिक्रमण मुक्त और दिव्यांगजन-अनुकूल फुटपाथ हों।

कोर्ट ने कहा - ये सिर्फ ट्रैफिक का नहीं, जीवन के अधिकार का सवाल है

न्यायमूर्ति एएस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने स्पष्ट किया कि फुटपाथों की अनुपलब्धता केवल यातायात की समस्या नहीं है, बल्कि यह जीवन के अधिकार से जुड़ा मुद्दा है। कोर्ट ने यह भी कहा कि जब फुटपाथ नहीं होते, तो गरीब, बुजुर्ग, बच्चे और दिव्यांगजन सड़कों पर चलने को मजबूर होते हैं और हादसों का शिकार बनते हैं।

डराने वाले आंकड़े: 2022 में 32,825 पैदल यात्रियों की मौत

याचिका में दर्ज आंकड़े बेहद चिंताजनक हैं:

  1. 2022 में कुल सड़क हादसे: 1,68,491
  2. इनमें पैदल यात्रियों की मौत: 32,825
  3. गंभीर रूप से घायल: 34,055
  4. मामूली चोटें: 30,809

इन आंकड़ों से साफ है कि फुटपाथ न होना एक बड़ा कारण है जिससे पैदल चलने वालों की जान जोखिम में रहती है।

हेमंत जैन की याचिका बनी करोड़ों की आवाज

इस जनहित याचिका को दाखिल किया गया था सामाजिक कार्यकर्ता और युवा उद्यमी हेमंत जैन द्वारा। कोर्ट में उनकी ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन ने पक्ष रखा। याचिका में बताया गया कि देशभर के फुटपाथों पर अतिक्रमण, निर्माण की कमी और दिव्यांगों के लिए सुविधाओं का अभाव है।

हेमंत जैन ने कहा: "यह याचिका सिर्फ मेरे द्वारा दाखिल की गई कानूनी याचिका नहीं थी, बल्कि यह उन करोड़ों लोगों की आवाज थी जो रोज़ सड़क पर जान हथेली पर रखकर चलते हैं। आज उन्हें संविधान ने एक मजबूत आवाज दी है।"

कोर्ट ने क्या कहा – मुख्य बिंदु

  1. सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को दो महीने के भीतर रिपोर्ट दाखिल करनी होगी।
  2. हर शहर और गांव में अतिक्रमण मुक्त और दिव्यांगों के अनुकूल फुटपाथ बनाए जाएं।
  3. फुटपाथों का नियमित रखरखाव सुनिश्चित किया जाए।
  4. मुंबई हाईकोर्ट की गाइडलाइंस को आदर्श मॉडल मानकर देशभर में लागू किया जाए।
  5. केंद्र सरकार को भी बताना होगा कि उसके पास पैदल यात्रियों की सुरक्षा को लेकर क्या नीति है।

भविष्य की उम्मीद: क्या अब पैदल चलना होगा सुरक्षित?

यह फैसला उन लाखों भारतीयों के लिए राहत की सांस जैसा है जो रोज़ाना सड़कों पर चलकर जोखिम उठाते हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस कदम से उम्मीद है कि आने वाले समय में पैदल यात्रियों को न केवल बेहतर फुटपाथ मिलेंगे, बल्कि उनका जीवन भी सुरक्षित होगा।

2016 से 2022 तक के पैदल यात्री मृतकों के आंकड़े

  • वर्ष          कुल सड़क हादसे        पैदल यात्री                मृतक प्रतिशत
  • 2016         1,50,785                  15,746                         10.44%
  • 2017         1,47,913                  20,457                         13.83%
  • 2018         1,51,417                   22,656                         14.96%
  • 2019          1,51,113                  25,858                         17.11%
  • 2020          1,31,714                  23,483                         17.83%
  • 2021          1,53,972                  29,124                          18.90%
  • 2022         1,68,491                   32,825                         19.50%

अब चुप्पी नहीं, कार्रवाई होगी

सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश केवल निर्देश नहीं, बल्कि एक संवेदनशील समाज की ओर कदम है। अब राज्य सरकारों को जवाबदेही निभानी होगी और पैदल चलने वालों को उनका संवैधानिक अधिकार देना होगा।