आईआईटी से आईएएस बने राजीव वर्मा को दिल्ली का नया मुख्य सचिव नियुक्त किया गया। यमुना सफाई, ट्रैफिक, जल आपूर्ति और शहरी विकास उनके एजेंडे में हैं, प्रशासनिक अनुभव के साथ वे दिल्ली प्रशासन को नई दिशा देंगे।
IIT to IAS Rajiv Verma: दिल्ली सरकार ने राजीव वर्मा को नया मुख्य सचिव नियुक्त किया है। यह कदम केंद्रीय गृह मंत्रालय की मंजूरी के बाद 1 अक्टूबर से प्रभावी होगा। 1992 बैच के AGMUT कैडर के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी राजीव वर्मा धर्मेंद्र के सेवानिवृत्त होने के बाद दिल्ली प्रशासन की कमान संभालेंगे। राजीव वर्मा की कहानी काफी रोचक है। मूल रूप से उत्तर प्रदेश के रहने वाले वे रुड़की से कंप्यूटर साइंस में डिग्री लेकर आईआईटी से एम.टेक कर चुके हैं। इसके बाद उन्होंने आईएएस की परीक्षा पास की और दिल्ली तथा केंद्र सरकार में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया।
राजीव वर्मा का शैक्षणिक और प्रशासनिक सफर
राजीव वर्मा का सफर आईआईटी से दिल्ली के शीर्ष प्रशासनिक पद तक का है। 58 साल की उम्र में वे राजधानी की शासन प्रणाली से अनजान नहीं हैं। उन्होंने 2018 से 2022 तक दिल्ली में प्रधान सचिव और वित्त आयुक्त के रूप में कार्य किया। 2017 से 2018 तक वे दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) में प्रधान आयुक्त थे। 2013 से 2017 तक उन्होंने रक्षा मंत्रालय में संयुक्त सचिव के रूप में कार्य किया। इससे पहले दिल्ली के परिवहन विभाग में अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक तथा संयुक्त सचिव के रूप में भी वे सेवाएं दे चुके हैं। इस लंबे कार्यकाल ने उन्हें वित्त, आवास, शहरी नियोजन और नीति निर्माण का गहरा अनुभव दिया है। यही कारण है कि अधिकारी उन्हें दिल्ली के प्रशासनिक जटिल मामलों को संभालने के लिए उपयुक्त मानते हैं।
दिल्ली के नए मुख्य सचिव के सामने बड़ी चुनौतियां
राजीव वर्मा ऐसे समय में दिल्ली के मुख्य सचिव बने हैं जब शहर कई शहरी मुद्दों से जूझ रहा है। उनकी पहली चुनौती यमुना नदी की सफाई और पुनरुद्धार होगी। केंद्र और राज्य सरकार दोनों इस परियोजना की निगरानी कर रहे हैं। इसके अलावा उन्हें यातायात, अपशिष्ट प्रबंधन, जल आपूर्ति और सार्वजनिक परिवहन जैसे मामलों पर ध्यान देना होगा। ये ऐसे मुद्दे हैं जो दिल्लीवासियों के दैनिक जीवन को सीधे प्रभावित करते हैं। सतत शहरी विकास और दीर्घकालिक बुनियादी ढाँचा योजनाओं पर काम करना भी उनकी प्राथमिकताओं में शामिल है।
क्या बदल जाएगा राजनीतिक माहौल?
राजीव वर्मा अपने पूर्ववर्तियों की तुलना में ऐसे राजनीतिक माहौल में काम करेंगे जहाँ दिल्ली, केंद्र और नगर निगम पर भाजपा का नियंत्रण है। इसका मतलब है कि उन्हें राजनीतिक मतभेदों की बजाय शासन और प्रशासन पर अधिक ध्यान केंद्रित करने का अवसर मिलेगा। हालांकि, परिणामों की अपेक्षाएँ बढ़ जाएँगी। पहले मुख्य सचिव अक्सर विवादों और आरोपों के बीच निर्णय लेने के लिए दबाव में रहते थे, लेकिन वर्तमान राजनीतिक स्थिति उन्हें अपेक्षाकृत सहज कार्य वातावरण प्रदान करती है।
