सार

दिल्ली हाईकोर्ट ने CAG रिपोर्ट पर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि वो सदन के कामकाज में दखल नहीं दे सकती। रिपोर्ट अगली विधानसभा में पेश होगी।

Delhi CAG report: दिल्ली हाईकोर्ट ने विधानसभा का स्पेशल सत्र बुलाकर सीएजी रिपोर्ट को पेश करने संबंधी याचिका को खारिज कर दी है। शुक्रवार को हाईकोर्ट ने बीजेपी विधायकों द्वारा दायर एक याचिका पर अपना फैसला सुनाया। विपक्षी विधायकों ने मांग की थी कि दिल्ली में आप शासन पर CAG की रिपोर्ट पेश करने के लिए विधानसभा सत्र बुलाने का आदेश दिया जाए। कोर्ट ने कहा कि वह सदन के कामकाज में हस्तक्षेप नहीं कर सकती।

कोर्ट ने कहा नए विधानसभा के गठन के बाद पेश कर सकते रिपोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने CAG रिपोर्ट पेश करने के लिए दिल्ली विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का आदेश स्पीकर को देने से इनकार कर दिया। आतिशी मार्लेना के नेतृत्व वाली सरकार पर रिपोर्ट पेश करने में अत्यधिक देरी करने की बात कही गई। हालांकि, कोर्ट ने बताया कि आतिशी मार्लेना के नेतृत्व वाली सरकार ने 12 जनवरी को जारी रिपोर्ट को विधानसभा के समक्ष पेश करने में देरी की थी।

जस्टिस सचिन दत्ता ने कहा कि कोर्ट रिपोर्ट पेश करने के लिए स्पेशल सेशन के अनुरोध को स्वीकार करने के लिए इच्छुक नहीं है। हालांकि, कोर्ट ने निर्देश दिया कि आगामी चुनावों के बाद नई विधानसभा के गठन और बैठक के बाद, दिल्ली सरकार को CAG रिपोर्ट को जल्द से जल्द पेश करने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार ने इस मामले में तत्परता से काम नहीं किया है और याचिका दायर होने के बाद ही CAG रिपोर्ट विधानसभा के सचिव को भेजी गई।

किसने की है सीएजी रिपोर्ट पेश करने की मांग

विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता और भाजपा विधायकों मोहन सिंह बिष्ट, ओम प्रकाश शर्मा, अजय कुमार महावर, अभय वर्मा, अनिल कुमार बाजपेयी और जितेंद्र महाजन द्वारा पिछले साल दायर याचिका में स्पीकर को विशेष रूप से CAG रिपोर्ट पेश करने के लिए विधानसभा बुलाने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

स्पीकर और दिल्ली सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने अदालत द्वारा ऐसा निर्देश जारी करने का विरोध किया था। सरकार की ओर से यह तर्क दिया गया कि रिपोर्ट पेश करने की कोई तत्काल आवश्यकता नहीं है, खासकर जब विधानसभा चुनाव जल्द ही होने वाले हैं।

अपने जवाब में, विधानसभा सचिवालय ने कहा कि इस स्तर पर CAG रिपोर्ट पेश करने का, फरवरी में विधानसभा का कार्यकाल समाप्त होने के साथ, कोई सार्थक उद्देश्य नहीं होगा। विधान सभा के आंतरिक कामकाज के संबंध में स्पीकर को न्यायिक आदेश जारी नहीं किए जा सकते।

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